कोढ़ | Kodd
श्रेणी : मनोवैज्ञानिक / Psychological
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
19 MB
कुल पष्ठ :
159
श्रेणी :
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आनंदवर्धन -Anandvardhan
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मनोहर बलवंत दिवाण- Manohar Balvant Divan
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कोढ़ का फेलाव ७
न होकर मर्यादित--दो-चार केंद्रों में ही--रहने की थी। पर जबसे
आमदरफ्त के साधन बढ़े और फंेले, कल-कारखानों की बाढ़ हुई,
जातियों का पारस्परिक व्यवहार बढ़ा, बड़ी तादाद में लोगों का इधर
से उधर जाना आसान हुआ, तबसे अलिप्त हिस्से में भी रोगग्रस्त हिस्से
की तरह इसके फलने की सुविधा होगई ।
तीसरा प्रकरण
रोग का दायरा
हिंदुस्तान में कोढ़ के दायरे को चार शीषंकों में बाटा जाना
चाहिए-- ( १) स्थान, (२) रोग का प्रकार, (३) उम्र, (४)
स्त्री-पुरुष-भेद ।
स्थान
हिंदुस्तान में कोढ़ कहाँ कितना फंला है, यह जानने के लिए मर्दुम-
शुमारी के अंकों के सिवा दूसरा साधन हमारे पास नहीं है । पिछले दस
सालों में कोढ़-संबंधी जांच का काम हिंदुस्तान के काफी हिस्सों में हुआ
है । १९२१ की मर्दुमशुमारी में कोढ़ियों की तादाद १,०२,००० थी।
१९३१ में वह १,४७,९११ मिलती है । इससे यह नतीजा नहीं निकालना
चाहिए कि रोग बाढ़ पर है । इतना ही कहा जासकता है कि पहली
जाँच में कुछ ढिलाई रही होगी और पिछली जाँच चौकस हुई होगी ।
विशेषज्ञों की ओर से खास कोढ़ के संबंध में जो जाँच हुई, उसमें
रोगियों की तादाद असली मर्दुमशुमारी की तादाद से कहीं तिगुनी तो
कहीं बीस गुनी से ज्यादा पाई गई। मर्दुमशुमारी की संख्या से
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