दूसरी एक दुनिया | Doosrii Ek Duniyaa

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Doosrii Ek Duniyaa by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दूसरी एक दुनिया २१४ अ्रादमी भीड़ से आगे बढा । अभी किसी ने ध्यान नहीं दिया । स्टेज काफी ऊँचा बना था । वह झ्रादमी स्टेज से सटकर खडा हो गया । एक-एक रुपये के दो नोट निकालकर दाहिने हाथ से संकेत करता हुभ्रा कुमारी कमल से कहने लगा -- ऐ बीवी जान. ..। वह भला क्या कहती ? बोलती क्यों नही नाराज हो क्या । वह फिर भी कुछ नही वोली | राज तबीयत खुद कर दो ..। नृत्य दर्शकों की भीड यह करतूत श्रपने सामने देख रही थी । किसी की हिम्मत नहीं थी कि कोई कुछ कहें । लडकी साडी पहन कर नाच रही थी । बंठे हुए लोगों मे सभ्य बहुत कम थे । लडकी की थिरकन पर दशकों की गरदने टेढी हो जाती थी । कभी-कभी तो पड़ोसी की बेच पीट- कर या चुटकी बजाकर ताल भी दी जाती थी । झ्रोठो पर चटख रग का लिपस्टिक लगाकर लड़को ने शअ्रपनी मुखाकृति रिपल्सिव बना ली थी । इतना सब होते हुए मेरे पास वाला श्रादमी शराब के नदो मे धुत्त चीख रहा था पटाखा हे पटाखा । उसका यह मुहावरा बहुत जल्दी लोगों की समभ में झा गया था । बड़ी जल्दी नोट दिखाने वाले व्यक्ति ने एक-एक रुपये के दस-पर्द्रह नोट स्टेज पर चढकर बिखेर दिये । लडकी पर्दा उठाकर श्रन्दर भाग गयी । खेल खतम पँसा हजम वाली स्थिति झ्रा गयी थी । दर्शकों में हल-चल मच गयी । खेल के मैनेजर ने उस व्यक्ति की श्रच्छी मरम्मत्त की । किस्सा समाप्त होने के बाद पुलिस भी भ्रायी । बात सुनकर दरोगा जी हैरान हो गये कि यह सब हो क्या गया । नहीं रहा जाता है लोगो से । फूट पड़ते है । मन के हर पन्‍ने को उलट-पुलट कर दिखा देना चाहते है। वे लडक्यो का जंगल पसन्द करते है । कला उनके लिए अ्रफीम हे। लोग तो इतना ही चाहते है कि उनके जोश का प्रतिदान




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