चाँदी की डिबिया | Chandee Ki Dibiya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : चाँदी की डिबिया - Chandee Ki Dibiya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

Author Image Avatar

प्रेमचंद का जन्म ३१ जुलाई १८८० को वाराणसी जिले (उत्तर प्रदेश) के लमही गाँव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनन्दी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायबराय था जो लमही में डाकमुंशी थे। प्रेमचंद की आरंभिक शिक्षा फ़ारसी में हुई। सात वर्ष की अवस्था में उनकी माता तथा चौदह वर्ष की अवस्था में उनके पिता का देहान्त हो गया जिसके कारण उनका प्रारंभिक जीवन संघर्षमय रहा। उनकी बचपन से ही पढ़ने में बहुत रुचि थी। १३ साल की उम्र में ही उन्‍होंने तिलिस्म-ए-होशरुबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ 'शरसार', मिर्ज़ा हादी रुस्वा और मौलाना शरर के उपन्‍यासों से परिचय प्राप्‍त कर लिया। उनक

Read More About Premchand

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
दृश्य १ चाँदी की डिबिया अपनी जेब टटोलता हे श्रौर एक शि लिद्र बाहर निकालता है । वह उसके हाथ से छूटकर गिर पड़ती हे श्र लुढ़क जाती हे । वह उस खेाजता हे । इस शिलिंग का बुरा हो फिर खेाजता है । पहसान का भूलना नीचता है मगर कुछ भी नहीं चह हँखता हे में उससे कह दूंगा कि मेरे पास कुछ भी नहीं । वह दरवाज़े से रगड़ता हुझा निकलता है श्ौर दालान मिपूट से होता दुश्ना ज़रा देर में लौट श्राता हे । उसके पीछे- पीछे जोन्स श्वाता हे जे नशे में चर है । जोन्स की उम्र लगभग तीस साल दे । गाल पिचके हुए आँखों के गिर गड़ढे पड़े हुए कपड़े फटे हुए हैं वह इस तरह ताकता है जैसे बेकार हो झोर पिछलगुए की भाँति कमरे में श्राता हे । जेक शि ओर चाहे जो कुछ करो मगर शेर मत करना । दरवाज़ा बन्द कर दे. ओर थोड़ी-सी पिये । 2 टू




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now