अवतार बोध | Awatar Bhodh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
176
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)रे
१
1
(^ ११ )
इनकी तो|कुछ भी हैसियत नहीं है । इससे ये कब उस रूप से पूजी
जा सकंती हैं और अपनी भाव॑ना से भी; इन में हम लोग पिछले
सशुरणए अवतारों की कल्पना करके असली फ़ायदा प्राप्त नहीं कर
सकते । इश्च वात का बरहा पर सविस्तर भय शंका समाधान के
লাল किया है और इन मूर्तियों के आराधना की बावत ऋषियों
आर उनके भन्यों का जो असली अभिप्राय दै बह भी बहुत
अच्छी तरह निरूपण- कर दिया है। ज्यादातर भूर्त्ति-पक्तपाती
लोग निजी भावना पर वहुत कुछ जोर देते हैं सो ये लोग यह
ख्याल नहीं करते कि यह भावना भी हस लोगों के अंदर की ही
एक निशम्चयात्मक वृत्ति है। वह किसी प्रतिमा के वसीले से कुछ
काल अभ्यास की रगड़ से यथार्थ होकर बैसा ही फल दे सकती
ই जैसा कि उस भावना मय चृत्ति के अंदर आकार है| हँ। अगर
इन लोगों के सामने की राम, ऋष्ण नामधारी धातु पत्थर की
मूर्ति में उन पुराने जमाने के स्ये राम कृष्ण कां ख्याल छते ही
आमद हो जाती या प्राण प्रतिष्ठा की हुई मूर्ति की तरफ़ से दी कुछ
निज भक्तों के लिये बढ़ंकी चेंतनता का व्यवहार जब तव
होता रहता तो बेशक यह पक्का निश्चय होजाता और
निस्संदेह कहा जा.सकता है. कि इन मूत्तियों के बसीले से जरूर
किसी वक्त, निजी भावना से हमारी मुराद वर आ सकती है। सो
ये अतिमाएँ तो बिल्कुल वेहरकत व वेजान है इस वासते इनसे तो
सिर्फ़ फर्जी ख्याल ही उन बीते हुए रामकष्णादि का अंदर में पैंदा
हो सकता है और अगर कोई सच्चा होकर इनके ध्यान में लगे
तो चित्त का विखरापन दूर हो सकता है। ये दोनों प्रयोजन
User Reviews
No Reviews | Add Yours...