नागरी लिपि का उद्भव और विकास | Naagrii Lipi Ka Udbhav Aur Vikaas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
38 MB
कुल पष्ठ :
351
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about ओमप्रकाश भाटिया - Omprakash Bhatiya
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६:४३
६:४:४
६:४.५
६:४५
দি
६:६: ९
६:६:२
६:७
६२८
७: १
७:२
७:२३
७:४
७:४:१
५५२४२
७७.४५३
७६१
७: ५:८१
७:६
9:७9
ওঃ
০
८;*९
८:३
८:३४: १
८२:४२
डी० डिरिजर का मत
डॉ० सु० कु० चद्टोपाध्याय का मत
डॉ० अहमद हसन दाने का मते
प्राप्त मतों का सार
प्राप्त मतों का परीक्षण
वर्गीकरण
लक्ष्य
परीक्षण का परिणाम
शाखाओं का विवेचन क्रम
ग्रध्याय -७ : संतुलित ब्राह्यी (११६-१३३)
गुप्त-लिपि नामकरण
गुप्त लिपि का समय
गुप्त लिपि का स्थान
भारतीय लिपि विकाप पर प्रभाव
पूर्वी उत्तर भारतीय शैली का आदर
एकरूपता में वृद्धि
सरलीकरण
गुप्त लिपि का स्वरूप
वर्गीकरण
संतुलित ब्राह्मी
तत्कालीन विविध गै लियाँ
निष्कर्ष
श्रध्याय. -८अलंकत लिपि (१३४-१. ५)
कुटिल लिपि अर्थात् अलंकृत लिपि
अलंकृत लिपि की सामान्य विशेषताएँ
८.२:१ न््यूनकोणीय पाई-१३५, 5:२:२ शीर्ष-१३६,
८:२:३ मात्राएं-१३६, ८:२:४ नागरी से समानता-१३६
सामान्य विशेषताओं का परीक्षण
८:३:१ न्यूनकोणीय पाई-१३७, 5:३:२ शीर्ष-१३८,
८:३:२:१ मात्रा से शिरोरेखा-१ ३९, ८:३:२:२ एकात्विक
त्रिकोण शीर्षों का संयोग-१३६, ८:३:३ मात्राएँ-१ ८०,
८:३४ नागरी से समानता-१४१
मंदसो र-लेख
होयूज़ी-पांडुलिपि
( थ )
१११
११२
११३
११५
११५
११५
११५
११७
११७
११६
१२०
१९१
१२१
१२९
१२१
१२२
१२५
१२४
१२४
१२६
१३२
१४१
१४५
User Reviews
No Reviews | Add Yours...