गीतामृत | Gitamrit

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Gitamrit by श्री कृष्णदत्त पालीवाल - Shree Krashndatt Paliwal

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्री कृष्णदत्त पालीवाल - Shree Krashndatt Paliwal

Add Infomation AboutShree Krashndatt Paliwal

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
नभ्न निषेदण ललाट परं सिन्दर॒ की बिन्दी का अर्थ लगाया गया कि बेचारी को - उसके पति ने मारा है, जिससे ललाट से खून निकल रहा है। कालेज मे पदी हुई इतिहास की पुस्तकों की याद आई | उनमें बी० ए० में पढ़ाये जाने वलि इतिहास ग्रंथों में हम पढ़ते थे, ''शिवाजी पहाड़ी चूहा है ! तिलक चित्यावन ब्राह्मण हैं !! हिन्दुस्तानी गुच्ामी के आदी हैं !!!” स्टेनलो लेन- पूल की 'मध्य युगीन मारत” नाम को इतिहास-पुस्तक ण्दि मेरी स्मृति मुझे धोखा नही देती, तो बीस तीस सोलह पेजी आकार से बड़े आकार की आठ सौ पृष्ठ की पुस्तक थी, परन्तु -मध्यकालीन भारत के इतिहास की इस पुस्तक में महाराणा प्रताप के विषय में आठ प॑क्तिया भी नहीं थीं | दा, इस बान का पिशद वर्णन था कि मुसलमान हिन्दुओ पर केसे-केसे जुल्म करते थे ? उनके मुह में थूकते थे, इत्यादि | सरजान स्ट्रेची के ब्रिटिश भारत! में माम्राज्यवाद का नंगा प्रचार था। जोधपुर के किसी महा- राज के मुह से कहाया गया था कि हम बंगालियों के राज्य में रहने को कदापि तैयार नहीं हैं| किसी और से कहलवाया गया कि अगर अग्रेज हिन्दुस्तान से चले गये तो कंचनचज्ञा से लेकर कन्याक्रुपारी तक एक भी हिन्दू स्त्री का सत्तील भ्रष्ट हुए. ब्रिना न रहेगा | इस इतिहास-प्र॑य मे यह भी लिखा था कि कोई तिवाना हिन्दुस्तान के आदर्श पुरुष हैं | सब हिन्दुस्‍्तानियों को उन्हीं के पद-चिह्नों पर चलना चाहिए. | इसके अतिरिक्त पाश्चात्यों की सम्पत्ति, समृद्धि और सहलश: नए-नए शस्त्रास्त्रों म सुसज्जित उनकी सनिक शक्ति देखकर भी स्व्रभावत1 लोग चौधिया गए हैं । ऐसी दशा में यदि इस पराधीनता-पूतना के इस विषमय पय को पान करते हुए भारत की स्वदेशी संस्कृति और सम्पता को अन्तरात्मा मतप्रायहो चुकी हो और भारतो शिक्षितों की -ह मानसिक दासता, इद्धलैंड नहीं तो किसी «दूसरे देश की अन्धानुयायिनी हो गई हो, तो इसमें आश्चय॑ ही क्या ९ अन्तरात्मा पुकार उठी -क्या ज्ञान-गगा के इस उलट प्रवाह को रोका नहीं जा सकता ? स्रा उदे पुनः स्ञे-सीये खन्मार्गं पर नहीं प्रवाहित




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now