रूहेलखंड - कुमायु जैन डायरेक्ट्री | Ruhel Khand - Kumayou Jain Dictionary

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : रूहेलखंड - कुमायु जैन डायरेक्ट्री  - Ruhel Khand - Kumayou Jain Dictionary

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about उग्रसेन जैन - Ugrasen Jain

Add Infomation AboutUgrasen Jain

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
रूहेलखंड-कृमायु ओर जैन धसं डा० ज्योति प्रसाद जैन, रह एम०ए०, एल-एल०वी०, पी-एच०्डी०, लखनऊ ५ च्छत्डगै सर्य खत्त्छि :', यह उक्तिम्राज के युग में प्राय: सर्वत्र चरितार्थ हुई दृष्टिगोचर होती है। जो समाज या समुदाय संगठित नहीं होता वह निवल हो. जाता है | वह अ्रपने स्वत्वों और प्रधिकारों की रक्षा नहीं कर सकता । लोक की दृष्टि.मे उसका मान नहीं रहता । फलस्वरूप, उक्त समाज का और उसकी निजी संस्कृतिं का अस्तित्व ही खतरे में पड़ जाता है। ` सामाजिक सगठन का मूलाधार भावात्मक एकता होती है जोन केवल उक्त सगठने को संभव वनाती है वरन्‌ उसका पोषण करती रहती है तया उसे सुदृढ़ बनाये रखती है। ओर, भावात्मक एकता का सम्पादन करने के लिये यह्‌ आ्रावश्यक है कि जिन व्यक्तियों या समुदायो को संगठित करना है उनमें से प्रत्येक. एक दूसरे से भली प्रकार परिचित हो, उसकी उपलब्धियों और गुणों से, दोषों और कमियों से भी परिचित हो और वे परस्पर आत्मौपम्य स्थापित करने के लिये लालायित हों । इसी उद्देश्य को लेकर ग्राम, नगर या स्थान विशेष, अथवा जिला, प्रदेश या देश विशेष के निवासी समानधर्मा या सजातीय व्यक्तियों को -परिचायिकाएँ, विवरण पुस्तिकाएँ, डायरेक्टरी गजेटियर आदि बनाये जाते हैं। अबसे लगभग साठ वर्ष पूर्व दिगम्बर जन समाज के तत्कालीन नेता बम्बई निवासी सेठ माणिकचन्द भवेरी ने एक दिगम्बर जन डायरेक्टरी का संकलन एवं प्रकाशन कराया था। यह डायरेक्टरी समाज के संगठन एवं जागृति में पर्याप्त महत्वपूर्ण सिद्ध हुई 1. तदनन्तर व्वेताम्बर नेताओं ने भी इवेताम्बर समांज के सम्बन्ध में इस प्रकार के कतिपय उपक्रम क्रिये.। * पिछले दो-तीन दछ्षकों में दिगम्बर समाज. में अवध डायरेक्टरी, पदुमावतपुरवाल




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now