प्रसिद्ध व्यक्तियों के प्रेम - पत्र | Prasiddh Vyaktiyon Ke Prem - Patra

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Prasiddh Vyaktiyon Ke Prem - Patra by विजयचन्द्र - Vijayachandra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२३५ ४१ ४२ ७ द ४८६ भरू उपन्यासकार दोस्तावस्की का पच्च एेनाके नाम-- « अगर कोई हमारे पत्र पढे तो क्या हो?” ४ , कुम से कम मेरे पीछे तो तुम आनन्द से रहो .. सहारानी लूसी का पत्र नेपोलियन के सास्त-- ४ मुझ में हिम्मत की कमी नही है... कवि कॉलरिज का पत्र सेराह के नाम--- “तुम्हे प्रत्यक्ष देखना मैं तभी बन्द करना हूँ, जब ऑँसू मेरी माखो से दुलक पड़ते है वैज्ञानिक सर हम्फरी डेवी के नाम जेन का पत्र--- « मैं जितनी भी तेजी से हो सकेगा, सफर करूगी ” उपन्यासकार আর ভিহ্বঃল ক্কা पत्र कैट के नाम-- « सब बहुत उत्साह मे हैं / सन्न श्ररविन्द का पत्र मृणालिनी के नाम-- “ ग्भी तक मैंने रुपये मे दो आने ही भगवान को लौटाये है... शायर जाँ निसार अ्रख्तर के नाम सफिया का पन्न -- “ , तुमने तो पूरी तन्ख्वाह ही सुझे मेज दी 1 कवि रेनर सेरिया रिल्के का पत्र क्लेरा के नाम -- «,,.कुछ बातो की तरफ हमे बिल्कुल भी ध्यान नही देना चाहिये *.* राष्ट्रपति रूजवल्द का पत्र बेब्स के नाम-- “ , मैं एक बौखलाये हुये भालू की तरह होऊँंगा कचियक्नी बैरट का पन्न कवि त्रा्जनिग के नाम -- “/ अब हमे कोई अलग नही कर सकता .. ११४ , देश-भवत जमनालाल बजाज का पत्र जानकी देवी के नाम---१ १६




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