द्विवेदी पत्रावली | Dwivedi Patravali
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आचाये १० महावीरपसादं द्विवेदी
[ खंक्षित्त जीवनी ]
पं० महावीरप्रसाद द्विवेदीके पितामह पं० हनुमन्त द्विवेदी संस्कृतके
अच्छे परिडत थे । उनके तीन पुत्र थे--दुर्गाप्रसाद, रामसहाय और
रामजन ! पं० हनुमन्त द्विवेदीकी मृत्यु असमयमे ही हो गई | इस कारण
उनके पुत्रोकी शिक्षा न हो सकी । सबसे छोटे बालक रामजनकी भी मृत्यु
हो गई। दुर्गाप्रसादने वैसवाडेसे ही गौराके तालुकेदारके यहाँ नौकरी
कर ली और रामसहाय ईस्ट इण्डिया कम्पनीकी सेना मे भर्ती हो गये ।
अंग्रेजोकी प्रखार-नीतिके कारण देशके छोटे-छोटे राजाओमे श्रसन्तोष
था। असन्तोषने घड़यन्त्रका रूप धारण किया। अंग्रेजी सेनामे विद्रोहकी
आग घघकी। १८५७ का समय था। कम्पनीकी जिस सेनामे रामसहाय थे,
वह होशियारपुर ( पंजाब ) मे थी। विद्रोहकी चिंनगारी वहाँ भी पहुँची ।
विद्रोह जब फैलता है तो संक्रामक रूपमे फेलता है। देखते-देखते उसने
होशियारपुरके भारतीय सैनिकोकी अ्पनेमे समेट लिया । पर अंग्रेज बहुत
सावधान थे । उन्होने ताड़ लिया कि सिपाहियोके मनमे क्या है! और
समय रहते दी विद्रोहको कुचलकर धर दिया । हिन्दुस्तानी फौजमे भगदड़
मच गई । भागनेवा दोमे रामसहाय भी थे । उन्होने देखा कि आगे सत-
लजकी उमड़ती धारा है और पीछे तोप | दोनो ही ओर मृत्यु है। किन्तु
साहस करके, मत्युसे बचनेके प्रयत्ममे सतलजसे तो बचा भी जा सकता
है; पर रुकनेसे तोप द्वारा कायरतापूर्ण मृत्यु निश्चित है। अतः वह सतलज
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