उपदेश - प्रासाद | Upadesh - Prasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११.) कायं पूर्ण ध्य वार्जीत्रोना मंगशीकर नाद साथे नगर बहार प्रयाणं करी गास तरफथी तथा संबंधी वर्ग पेचो बंधावी फुलना द्वार भेटणा बिगेरे विधि पूर्ण घता तख़तगढ याण थयु. मानव मेदनी ये मार्ग सांकहो करी दीथो श्चने चतुर्धिध संव सायं संधवी चाज्ञवां तीथंना गुण गानमां पोचता तखतगढ़ संघ सन्‍्मुख आयी तिल- कादि विधि साथे सामेयाथी प्रवेश क्री चैत्य परिपाटी व्याख्यान ठामठाम गंहुलीयो स्थामियात्सल्यो नृत्य मंडलीना नाटारंभो प्रभ॒ पासे थया पूजा प्रभावनादिथोी शासन प्रभावना करी अ्रगीयारसना बलाणा संघना या दजोना स्वागतोना कार्या करी वारसनी सबारे संघनी विगेरनु प्रयाण चन्ड चिगेरे मंगलीक नादों साथे चातता साडराव खन्मुख धयु श्ावेल सांढिराव संघना तिलकादि स्व्रागत साथे प्रवेश कये चस्य परिपाटी व्याख्यानादि गहल्नीना सनन्‍्मान विगेरे शासन शोभमाना कार्यो कयै स्वामिव्रात्सल्य जमी चपोरना प्रयाणएनी तंयारौ जसलमेर जवानी थद. चण दूर तीथं होवाथी द्रेकनी श्रनुकुलता मुजब मोटर सर्विस तेयार थइ सादा आटसो याठ्रालुओने, आनन्द उपे तेवी व्यत्रस्था मादे दीकीटों अपाइ अने वोलींटरो. पादरलीना युवक वर्ग जवाब्रदारी ल्ीधी अने ते आदिजीनमंडले वेटको ` गोटी दीधी पन्यासजीये चास चछ्ोप कर्यो आशीवांद साथे मंगलीक सांभली सांजना प्रयाण करी पाली संघ गामे पोच्यो. तिलकादी स्वागत कार्यो साये प्रवेस करी चैत्य परि- पाटी -स्वाभिवात्सल्यादि. शासन प्रभावना करी, वदी तेरसने




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