साहित्यिक पत्रकारिता | Sahityik Patrakarita
श्रेणी : पत्रकारिता / Journalism, साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
104
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हि
1:8৮
কে লি राष्टुभाषा का प्रपोडन है 1 एक पमी प्रेरणा इन पत्रों के
वांदकीय लेखो, कविताप्रो तपा पनन््य छाहित्पिक रूपों को देखकर प्निलनी
जो प्लाज भो हमारे शष्ट्र भौर साहित्य के लिए খান ইঃ
राष्ट्रीय प्रश्यो भौर समस्याप्रों से जो पत्र जुड़े ये श्लौर इन्ही सवालों पर
पवार करने हेतु भ्र्मशित हुए थे, उनसे देवनागर का स्वान महत्वपूरण है।
एक लिपि विस्तार परिषद् द्वारा इसका प्रकाशन हुप्ला $ इस परिषद् के
चालक थे जस्टिस शारदा घरण मित्र । इन्होंने देदतागर का संपाइत-भार
-शोदा नदन धौतो को दिया । इस पत्र मे भनेक भारतीय भाषाप्रों के लेखन
ते देवनागरी लिपि में छापने का प्रभूतयूर्वे कार्य किया इसका उद्देश्य यही
॥ कि एक लिपि के द्वारा देश को एकठा के मूत्र में दाधा जाय । वतमर!
पक 1 में 'प्रावि्भीाव के भध्स्तगंत इस पत्र की रीति-्तीति का परिचय इस
ঘন में देखा जा सकता है, “इस पत्र मे साहित्य विषयक लेख तथा विज्ञान
गादवि विषय के भी उत्तम लेख प्रकाशित किये जायेंगे। रालास्तर में उतका
हापान्तर भी कर दिया जायेगा। प्रत्येक अक से रिसी“त-किसी प्रास्तिक
भाषा के व्याकरण सम्बन्धी लेख হব ইনি | গা ভু शब्द-कोष भी ।
इस्त प्रकार देवमागर द्वारा भारत की सभी भाषाप्रो की साहित्यिक रचनाग्ो
को तिकट लाने फा एक ब्रांतिकारी कदम उठाया गया। प्रमेदित साहित्य
का एक भज्छा सकलन देवतागर के अको पर उपलब्ध £। भावात्मक प्रौर
सपष्ट्रीय एकता की दृष्टि से 'देवतागर' के प्रताशन वो एक विशिष्ट पत्र के
झूप में देखा जा सकता है। इसमे छपी विभिश्न भाषाओं की रचताए भौर
घ्मरा भाषान्तर--भारतीय साहित्य को सामने साने का एक साहित्यिक
प्रयोग था ।
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