चर्मरोग चिकित्सा | Charmarog Chikitsa

Charmarog Chikitsa by डॉ. डिम्पल शाह - Dr. Dimpal Shah

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सामान्य चर्मलोचन पु आदमी का स्वास्थ्य, शरीर म नार्विके (लर), अंतर्सावी (७100०70०), ুলিক (৩০০০) तथा अन्य तंत्रों की कायंशीलता, द्रव्य-विनिमय की सक्रियता ओर प्रवृति आदि अनेक घटक प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से चर्म की भी अवस्था तथा कार्य पर असर इतत है। पूरे शरीर की एक अख़ड़ इकाई के रूप में सक्रियता और चर्म के बीच एक प्रत्यक्ष निर्भरता पायी जाती है। चर्मलोचन का अध्ययन चर्म की अनाटोमी और शरीरलोचन से शुरू करत वक्‍त उस बात पर जरूर जोर देना चाहिये कि चर्म शरीर का एक अभिन्न अंग है और शरीर के अन्य कार्यो के साथ घनिष्ठ संबध रखता टै। चर्म की अनाटोमी और ऊतलोचन चर्म-अनारोमी (इव क्षाह/0719), आदमी का चर्म (चमडी, ०४४8) उसके शरीर का बाहरी आवरण है, बह शरीर के प्राकृतिक छेदों-मुह, नाक, मूत्र-जननेंद्रिय और गुदा के पास पहुंचकर श्लेषमल झिल्ली (:ल्‍100008 ग्राथापर+॥1०) के साथ मिल जाता है। वयस्कों मे चर्म की सतह 1 5 से १४९ तक होती है, जबकि मोटाई (अधोचर्म वसां (8१८1९०४३ 9) को छोडकर मिलीमीटर के क्ुछठ अंशो से लेकर (पलक ओर बाह्य श्रवण-मार्गं पर्‌) 4) तक (हथेलियों ओर तलवो परौ होती है। अधोचार्म वसा की भी मोटाई जगह-जगह पर काफी भिन्न होती है। कुछ जगहो पर वह होती ही नहीं है और कुछ जगहो पर जैसे मोदे आदमी के पेट ओर नितबों पर) उसकी मोटाई कई सेंटीमीटर तक पहुंच सकती है। वयस्क में अकेले चर्ण का द्रव्यमान (10288) पूरे शरीर के द्रव्यमान का लगभग 5 प्रतिशत अंश होता है, जबकि अधोचार्म बसा के साथ करीब 16 से 17.7 प्रतिशत होता है। चर्म की सतह (त्वचा) प्रर अनेक घि (खात, खातिकाए), सलवटे ओर अवनमन (ग्ट) पाये जाते है, वह तीकोण ओर यैववत्त (1भाणणिंप) क्षेत्रो के एक जरिल करम (चराई) के रूप में दिखती है। चेहरे की झुर्रियां, हथेली, तलवे और फोते (अंडकोष) की सलवटें चर्म पर स्थूल खातिकाए हैं। हथेली और तलवे पर एक-दूसरे के चलने वाली गेडे और खातिकाएं तरह-तरह की आकृतिया अर्मरोग चिकित्सा 13




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