आत्मवीर सुकरात | Aatmaveer Sukarat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
72
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)झत्मकिवल भौर ग्यापमियता | १७
মি বি + “कक. “लि “जैज ऊँ“ * স্পা क~
प्राप्त था,, पीछे दिचारे डरपोक पक्ता ओ ने सम्मति लेना स्वी-
कार फर लिया और शन्त म सेनाधिकापिया फो न्याय विरुद्ध
ऋत्यु दृश् मिला ।
दो थषं पश्चात् चरिते नायक ने पुनः अपने कारये से दर्शा
द्विया कि चं न्याय के लिये खं भ्रकार फे फष्ट सहने फे!
यार है । ५०५.यो० सी में लेसीडोनियां चात ने पथेन्स पर
अधिकार जमा लिया.और नगर पे रक्ता फरनेयाली चारों
शोर की दोवारों फो भस्म करा दिया। प्रथन्ध फारियी सभा
का पता भी न रहा और क्रितियास मे लिसिन्डर की सहायता
से धनयानौ फा राज्य स्थापित करः दिया । यह समय यडा
ही भयानक था वर्याकि राज्य कर्ता अपने भरायीन शत्रओं फो
मारने और प्रजा को लूटने पर उतारू थे। यह लोग चाहते थे
कि हम झपने कु ऋर्मा' मे अधिक से श्रधिक लोगो फे सम्मिलित
करले । इसी दिचार से उन्दने एफ दिने सुकरात शोर चार
झन्य पुझपों को , घुसवा भेजा और इनके झाजाने पर थाशां
दी कि सेतेमिसं स्थान से लीषन ( 11,601 ) नामी पुरप
क पकड लाश्चो घद्द मारा जापेगा ,। अन्य चार. तो डरफे
कारण आज्ञा पालन कर मुक्त हुए। परन्तु आत्मधीर सकरात ने
कहे दिया कि जिस धाये फो करने में मेरी आत्मा साक्ती नह
देशी उसे में नहीं फरू गा ओर यह फ्द फरघर फो घला गया।
क्र्यों न फहता, जब दुष्ट ভীম नहीं मानते तो दीरों का यही
कर्चय्य है। पदिले शोर भी एक समय पर छुफरात ने क्रिति-
थाोसकोा चिड़ा दिया था इसका कारण यह था दि सुकरात
क्रितियास के प्रपन्ध पे अपशुण नवगुवकों को छुवाया कर्ता
नजर
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