वेचारवान इमर्सन | Vicharavan Imarsan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
225
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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क्षुवा, मनुष्य एवं इश्चर को किया-प्रक्तिया को प्रतिमाएं देखता हैं | इ
नियमों का सबिस्तर बर्गन नहीं किया जा सकता | कागज पर ये अंकित नहीं
किये जा सकते शोर ने वाणी ही इनको प्रकट कर सझृती हे। हमारे কায
चिन्तन से वे परे भागते रहते हूँ; लेकिन साथ दी एम उन्हें प्रतिक्षण एक-
दूसरे के चेह्टरों में, कायों में श्रोर अपने स्वयं के श्रवतताद में पढ़ते रहते ই।
प्रत्येक शुभ कर्म एवं विचार में एमारे सदाचार श्रनुप्राणित रहते दूँ और
भाषण या वाणी द्वारा तो हम मुश्किल से ही उन्हें गिनाने का श्रधूरा प्रयक्ष
कर सकते हूँ । जब यह मानना सारे घममो का तत्व हे तो इसके मुख्य-मुख्य
संकल्पों एवं साधनों के विषय में मुझे पूरा स्पष्टीकरण करने दीजिये जिससे
कि उसके अ्रसली रूप की एक कफ श्रापको मिल जाय |
नेतिक भावना की स्फुरणा आत्मा के नियमो की परिपक्वता का दिव्य
कषान टै | ये नियम स्वतः ही कार्यान्चित होते हैं | ये देश, काल एवं परि-
स्थिति से परे हैं। इस प्रकार मनुष्य के श्रन्तःकरण में ऐसा न्याय हे जिसके
निर्णयो का पूरा एवं तकाल पालन होता ह । शभ केम करमे वाला कोई
भी व्यक्ति निर्विलस्बर गौख का श्रदुभव करता है श्रोर ज्ञु कार्य में प्रवृत्त
प्रत्येक व्यक्ति अपने भीतर क्षुद्रता महसूस करने लगता है। अपविन्न जीवन
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