भारतीय प्रेमाख्यान काव्य | Bhartiya Premakhyan Kavya

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Bhartiya Premakhyan Kavya  by हरिकान्त श्रीवास्तव - Harikant Shrivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ८ ) आप अकामा पत्नी से रत रहेंगे, जितने दिन आप संध्या? घृत मात्र भोजन करेंगे ओर जितने दिन हमारे प्रिय दो मेष शेय्या के समीप बंधे रहेंगे तथा जितने दिन आप मुझे नग्न न दिखाई पड़ेंगे उतने ही दिन आप के यहाँ हमारे दिनि भार्याभाव से कटेंगे। इससे अन्यथा होने पर मैं शाप से छूट जाऊंगी और पुनः खग में पहुँच जाऊँगी। राजा ने उसकी सभी शर्तें खीकार कीं इस प्रकार पंचान्नवे वत्सर बीते | उर्वशी के चले जाने के कारण गंधर्व उसके लिए चिन्तित रहते थे। एक दिन विज्वावसु' नामक गंधर्व प्रयाग में जाकर उर्वशी के मेष चुगकर भागा | अपने मेषो को जाते देख कर उर्वशी ने राजा से उसे छुड़ाने की प्रार्थना की, किन्तु उस समय वे नय्मावस्था में लेटे थे। पहले तो वे हिचके पर उर्वशी के बार बार कहने पर वे उसी प्रकार मेष को लाने के लिए दाड़े | उर्वशी की निगाह उन पर पड़ गई ओर बह शाप मुक्त होकर खर्ग चली गई | लोटने पर उन्होंने उर्वशी को न पाया इसलिए वे बड़े दुखी हुए । अन्त में उन्होंने उर्वशी को पाने के लिए. यज्ञ का आयोजन किया ओर उन्हीं के द्वारा त्रेधा अभ्रि-गाहंपत्य ( बराहंस्पत्य ), दक्षिणान्नि, और आहवनीय-उत्न्न हुई जिसके फलस्वरूप देवताओं ने प्रसन्न होकर उर्वश्जी दे दी। इसी प्रकार ऋग्वेद में अम्नि कुमारियों का प्रेमी और श्तरियों का पति कहा गया है किन्तु महाभारत में अमि ओर राजा नीछ की पुत्री की कथा इस प्रकार है-- | : “अग्नि एक दिन राजा नील की पुत्री पर आसक्त हो गए। नील राजा के महल में पवित्र अग्नि उसी समय प्रज्वल्ति होती थी जब्च खय॑ राजपुत्री की सुरमित सांसें उसे फूकतीं थीं अन्त में राजा ने अपनी पुत्री का विवाह अभ्निसे कर दिया जिसके फ़ल्खरूप अचि ने राजा को अजेयता ओर उस नगरी की बनिताओं को अब्राघ संयोग सुख का वरदान दिया ।?? राज रथविति की पुत्री तथा ऋषिवर आचघ॑नान के पुत्र 'श्यावाश्व” की प्रेम गाथा का आधार भी ऋग्वेद ही है जो इस प्रकार है- “राजषि रथांवति ने एक दिन अपने यहां यज्ञ का आयोजन किया । मंडप में षि आचनान अपने पुत्र श्यावादव के साथ पधारे । ऋषि कुमार का शरीर तपस्या और ब्रह्मचर्य के कारण देदीप्यमान हो रहा था । यज्ञ के समाप्त होने के समय ऋषि आर्चनान की दृष्टि राजकुमारी मनोरमा पर पड़ी और वे उसके « सींदर्य को देखकर गदगद हो गए । उनके मन में उसे पुत्र बधू बनाने की अभि- लापा जागृत हुईं और उन्होंने अपनी इस इच्छा को राजा से कहा । राजा इ




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