वर्णी पत्र सुधा | Varni Patra Sudha

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Varni Patra Sudha by नरेन्द्र विद्यार्थी - Narendra Vidyarthi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यह संस्करण त्यागमूर्ति, प्रात स्मरणीय पूज्यपाद श्री प गणेशप्रसादजी वर्णी का नाम कौन नहीं जानता ? जैन सत परम्परा के एक देदीप्यमान सूर्य । जो वर्षो पूर्वं अस्त होने पर आज भी उनकी ज्ञान रश्मियों का प्रकाश वसुन्धरा पर व्याप्त है । उनके समग्र प्रकाशित साहित्य वणी वाणी मे से यह चतुर्थं भाग “पत्र-पारिजातः वर्षो से अनुपलब्ध था । उनके अनिर्वचनीय उपकारो से नभ्रीभूत होकर उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित हेतु सन्मति टृस्ट ने विचार किया कि क्यो न इसे पुन प्रकाशित कर समाज को स्वाध्याय हेतु उपलन्ध कराया जाय । जो अब वर्णी पत्र सुधा' के रूप मे प्रस्तुत है । वैसे वर्णीजी के सम्पूर्णं साहित्य को सग्रहित-सुरक्षित करने का कष्ट साध्य कार्य काश्रेयस्व श्री नरेन्द्र विद्यार्थी, छतरपुर को जाता है । उनके प्रति ट्रस्ट कृतज्ञता ज्ञापित करता है । दस सस्करण के लिए बौद्धिक सहयोग दाता धीमानो जिनमे ब्र सदीप सरल, जीना, ब्र विनोद जैन, द्रोणगिरि, डा फूलचद जैन प्रेमी , वाराणसी, त्र जिनेश जैन, जबलपुर, श्री राकेश पननलाल जैन, श्रीमती सुप्रभा कुन्दनलाल जैन सिघई, श्री हेमचन्द्र जैन सिघई, टीकमगढ़, श्री नीप्ज जैन, सतना, श्रीमती डा रमा नरेन्द्र विद्यार्थी, छतरपुर, श्री के के सफ मत्री, श्री गणेश दिगम्बर जैन सस्कृत महाविद्यालय, ब्र राकेश जैन, सागर के प्रति टृस्ट कृतज्ञ है । ओर जिनके अर्थ सहयोग निना यह प्रकाशन सभव न था वे श्रीमती उषा सुभाष गोदरे, श्रीमती राजकुमारी जी रादेरिया कटनी, श्री के. पी जैन, श्री अशोक गगवाल जैन, श्रीमती सोनल जतीन जैन, श्रीमती कुसुम पारसमलजी जैन, श्रीमती सगीता गुलाबचद जैन, श्री सनतकुमार कातिलाल जैन, श्री नेशकुमार जैन, श्री वसनजीभाई भाणजीभाई, श्री किरीट वोरा, मुम्बई तथा ब्र बिजेन्द्र जैन तथा श्री ए के जैन फरीदाबाद एवं चि विधान दीपक जैन, दुबई के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करता है । अत में पूज्य श्री वर्णीजी के उस सातिशय पुण्य को प्रणाम करते हैं जिसके प्रताप से यह कार्य पूर्ण हुआ । सत्पुरुषो के योगबल से जगत का कल्याण होवे । - सुधा जैन, देवेन्द्र जैन २२ फरवरी २००८ सन्‍्मति ट्रस्ट वर्णी पत्र सुधा ७ १४ # यह सस्करण




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