तिलोयपण्णत्ती भाग - 2 | Tiloy Pannatti Bhag - 2

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Tiloy Pannatti Bhag - 2 by श्री चन्द्रप्रभ - Shri Chandraprabh

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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4१4444444%कु नके ‡ पुरोवाल्‌ 3 ५५५५११०५ पूज्य प्रायिका श्री १०४ विशुद्यमती माताजी दवारा अनूदित एव प्रो० श्री चेतनप्रकाशजी पाटनी जोषपुर द्वारा सम्पादित 'तिलोय पण्णत्ती' का यह दवितीय भाग जिज्ञासु-स्वाध्याय प्र मी-पाठकों के समीप पहुंच रहा है। आचायं प्रवर श्री यतिदृषभाचायं द्वारा विरचित यह ग्रन्थ बीच-बीच मे आये गणित के अनेक दुरूह प्रकरणों से युक्त होने के कारण साधारण श्रोताओ के लिये ही नही विद्वानों के लिये भी कठिन माना जाता है । टीकाकर्वी विदुषी- माताजी ने अपनी प्रतिमा तथा गणितज्ञ विद्ठानो के सहयोग से उन दुरूह प्रकरणों को सुगम बना दिया है तथा प्राकृत भाषा कौ चली भरही अशुद्धियो का परिमार्जन भी किया है । माताजी ने अस्वस्थ दशा में भी अपनी साध्वी चर्या का पालन करते हुए इस ग्रन्थ की टीका की है, इससे उनकी आन्तरिक प्रेरणा प्रौर साहित्यिक अभिरुचि सहज ही अभिव्यक्त होती है। आशा है, इसका तीसरा भाग भी शीघ्र ही पाठकों के पास पहुचेगा । भारतवर्षीय दि० जैन महासभा का प्रकाशन विभाग इस आप॑ं प्रन्थ रत्न के प्रकाशन से गौरवान्वित हुआ है | दि० २६-१-१६५६ विनीत : पन्नालाल साहित्याचार्य सागर




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