वार्षिक रिपोर्ट 1978-79 | Varshik Report 1978-79
श्रेणी : शिक्षा / Education
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जाता है कि इस प्रकार के समस्या मूलक विषयों को बच्चे समझ सकें प्रौर उनको सिपष्टाने
की सामर्थ्य ला सके |
प्रमुख सामाजिक समस्याओं के बारे में रा० शे० अ० झौर प्र० प० की चिता इन
बातों से प्रकट होत्ती है-जनसंस्या वृद्धि की शिक्षा के बारे में सामग्री-निर्माण, आधिक
गतिविधियों द्वारा उत्पादकता-वृद्धि की जरूरत, तथा विद्यार्थियों में नंतिक मूल्यों का
प्रोत्साहन । छात्रों और शिक्षकों के लिए राष्ट्रीय एकीकरण शिविरों का अभ्रायोजन हृभ्रा
ताकि उनके मन मस्तिथ्क में सांस्कृतिक विविधता के मध्य देश की एकत्ता के भाव पनप
सके ।
शैक्षिक कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने की जिम्मेवारी मूलतः राज्य सरकारों की
है । इसलिए राज्य परकारों के शिक्षा विभागों तथा राज्य शैक्षिक ब्रनुसंघात श्रौर प्रशिक्षण
परिपद् एवं राज्य शिक्षा गस्थान जैसी राज्य स्तर की संस्थाओं के साथ राष्ट्रीय परिषद्
ते स्कूल शिक्षा के सुधार के लिए महृत्वपुर्ण क्षणिक कायेक्रमो के उन्नयन एवं कार्यान्वयन
की दिशा में सहयोग करना जारी रखा। इन कार्यक्रमों में इस प्रकार के विषय शामिल
धे--पाद्यक्रमों का सुधार, अध्यापकों भ्रौर प्रमुख जानकार कर्मचारियों का प्रशिक्षण, उन्नत
किए गए पाठ्यक्रम के संदर्भ में पाठय सामग्री का निर्माण श्रादि ।
प्रधिगम के नए कौशलों के निर्माण की दिशा में परिषद् ने अपने प्रयोग जारी रखें।
परिषद् का शैक्षिक प्रौद्योगिकी केन्द्र शिक्षा के प्रचार-प्रसार के झ्रधुनिक माध्यम खास कर
दूर से शिक्षा प्रदात करने की प्रणालियों की सम्भावना की खोज करता रहा है। भ्रधिक
प्रभावकारी शिक्षण-प्रप्रिगम के सस्ते देशी शेक्षणिक साधनों के निर्माण के लिए शिक्षण
साधन विभाग ने राज्यों की सहायता की । विज्ञान शिक्षण की एक ऐसी वंकल्पिक श्रौर
समाकलित प्रणाली ढूंढ ली गई है जिसमें बच्चे के परिवेश में उपलब्ध साधनों का इस्तेमाल
किया जाता है। भ्रत्म परिणामों के अलावा इससे यह पत्ता चल्नता है कि प्रभावकारों
विज्ञान शिक्षण के लिए मंहगी प्रयोगशाला की ही जरूरत हो, एसी कोई जात नहीं है। इस
प्रणाली को बड़ी सफलता के साथ होशंगाबाद विज्ञान शिक्षण कार्यक्रम में दिखाया गया है
जिसे राष्ट्रीय परिषद् ने सहायता दी है। इस परियोजना का उद्देह्य विद्याथियों को
अन्वेषणात्मक पद्धति से विज्ञान पढ़ाना है| इस परियोजना ने सोलह ग्राम-स्कूलों से शुरू
कर श्रव पूरे होशंगाबाद जिले को श्रपने भ्रच्तग्ंत कर लिया है। टाटा इंस्टीच्यूट ऑफ
फंडामेंटल रिसचे, दिहली विश्वविद्यालय, विश्वविद्यालय भ्रनुदान भ्रायोग तथा राज्य के महा-
विद्यालय जैसे प्रमुख संस्थान इस परियोजना में भाग ले रहे हैं!
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