समय सार कलश टीका | Samaysar Kalash Tika

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Book Image : समय सार कलश टीका  - Samaysar Kalash Tika

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
অন্যায় কলহ टीहा। (9 न= =-= पन द्रव्य कूप किम छे मोद एता मदपने$रि गुण रप षिन ठे | ইতি কী মাত অন জান ভিসি । पु सर्प धनानिनिषनं इती टो छे [ काहकी मारी नही | বিহিত অন कद पमण छे | जपतो निहि बाणी ऊंहु नरम्घार दियो हो वाणी जिमी ठे परयंगानं स्त पल्यनी-मलगासा ददता सवस ग्रोवर, गि व्दोरी, पयग भित मिन श्व द्य, भावकम, नोश्म उदि रहि ॐ आ जीवय निदिदधी सो कदम प्रत्पगात्मा निषि त फद्ठिने स्वरूप, ताइट पश्यती अनुमवनझील छे। भावाय-इस्‍्यो नोकोई विव शति दिव्य इनि ती पु्ररप्म ठ जयेद छे, सदेननने न्तरं निविड के ती प्रति पतमाषान करिवाम निमित्ते यो अर्थे एट्यो नो वाणी सेक्ष स्वरूप अगुभारिणी छे | हो मानिषो पथि ( बिना) मी कत नही । ताझी व्योरों-दाणो तो जचेतन छै । तिरि धुवं मीषदि पदाथड्ों ध्वकूपज्ञान ज्यों उपने छ त्वीको भानिज्यी, वाणीडों पृज्यपणों मी छे। किंविश्विर ध्टस्प भायगास्मन। किसी छ सबेश बीतराग | अनतपम्भण सनत कट्ठं अति बहुत टः पे তো गुण मिद्िक्ो इस्ों छे, भावाय-इसी हो कोई मिध्याबादी $॥ै छे परमोरंस! जिगुण छे गुण विनाश हद परमात्माएणों दोइ छे सो इसो मानिवों सूदी छे। मिद्िते धुर्ण दिनश्या द्व्यदरी ञी विनाशे ॥ २॥ मायाध-पत -ोश्मे श्री भमृतच दर्‌ भाया्युने एव्‌ मगदानी वर्णी नम्रे क्या नो पद्रव्य शुण व पयायो भिन्न शुद मारा ए्वसूपको क्षननेवानी ह एधो पिमे श्तु भनत देवमावोरो মিল भयेश्ाे यथायं बदाय। गया है 1 दर दवय शैः मि च = भन्तिरूप भी दै नान्तिक्प मी दै। द्रव्यादि चहुशटयकौ भपक्षो भम्तिरूप ६ पर द्रव्या दिचतुष्टयड्री अपेक्षा नास्तिकृप है ०१९ वम्तुदधी भित एता ठव ही तिद दोगी অহ उप्तमें लय वत्तुओंड्री सत्ताका नाम्तित्व या अमाव दो | इसी चद रए दव निलरूप भी दै सनियम भी! द्रयव गुणोदे पदा ईने रनेह्टी अपेक्षा द्वव्य नित्य दै-उनमें अवस्थामोंके नित्य पर्टाने रहनेड्री अपेक्षा द्वव्यम झनित्य है। दरएक द्रव्य एक कूप भी है-भनेक रूप भी है। अनेह गुणपर्यायोंदा समुदाय रूप असट द्रव्य द्वोनेद्नी क्पेक्षा द्ृम्य एऋकूप है, अनेक भुणोंते समर হ্যা दनेश येषा द्रव्य अने शप है | मात्मा ए६ ट वही भात्मा धानपिक्ष शगरप, बीयेंगुण अपेक्षा वीयेकूप, चारिवरियुण घणा चारित्र रूप, प्रस्यक्त गुण सपैक्षा प्त्मक्त रूप, मुखंगुण स्पेक्षा मुखक्प इत्यादि। द्वक्‍ओो ययाथ बतानेवानी मिनेवाणों है? 'हरएकड छवमावकों ए्यात्‌ था कंथचित्‌ या ड्रिसी बपेखासे कदनेवारी दे इसन्यि एप बाणी स्वादाद्‌ वाणी कटे है| त्रिना मनेक धपेश्षामोति दयन्न समझे यथायं इग नहीं धे प्रसा ६।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now