सिद्ध मूर्ति विवेक बिलास | Sidh Murti Vivek Bilas

लेखक  :  
                  Book Language 
हिंदी | Hindi 
                  पुस्तक का साइज :  
4 MB
                  कुल पष्ठ :  
160
                  श्रेणी :  
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)সন্ধা | . (९)
धन खू्च करते हुये विचारना चाहिये कि भेजो
द्रव्य पेदा कत्ता हूं उस में अनेक तरह कै पाप
होते है, बह धन् संसार में कुंटुम्ब में लगाता हूँ उस
में सी पाप होता है इस वास्ते जो धन परसेश्वर
की भक्ति में लगता है वहु ही सफुल है, पुराय
बंध होता है, अत में ये घन मेरे संग नहीं चुले-
गा इस पर से कृष्णा कम करना वह , ही सुकृत
है धर्म के बीज बोने को सात चेत्र आप ने बताये
हुं, जिन मंदिर १ जिन मूंत्ति जेन शाख
साध ४ साधबी ५ श्रावक ६ कौर आविका ७
~~ +~ ~~ ++ ~ ~~~ ~
दन्हा मे लंध्मी लगाई हुई महाव् फल दाता हे
फिर विचार करे में जिन भक्ति करूंगा तो, दत्तरे
 
जीव भक्ति की अनुमोदना करेंगे. वह तिरेंगे मेरी
देखा देख दुसरे भी भाग्यवान जिन भक्ति करेंगे
तो-उनके 'तिरने का कारण-मेरी द्रव्य सक्ति हो
जायगी ऐसे अनेक लास द्रव्य एजा से ह. द्रव्य
पूजा करके सम्यक्ती श्रावक मातं पूजा करे भगत
=
४
 
					
 
					
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