समसामयिक हिन्दी नाटकों में चरित्र - सृष्टि | Samasatmayik Hindi Natako Me Charitr-srashti

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जद मे घककर গাই তি জী | ভাত গলা লারা मानता है वि केयात शान बा प्रारद घाक एक पियशेष शोर शद्धियीय चरित्र होता रे इम हद मत भी दीगार बरोे है हि शाहिय की লালা লা वैय भटा धूटपो और सहाद्‌ भावताओं वे বিগত লঙ্কা টা सी/मत नहीं हैं। आज गिसी अयना सगधारश जौवन को मण्य बातो योर याद भी साहियिग सहानता को जम्म दे ग्व £ ॥* दवशि'ट को घोटपर शाधारगा बी यह प्रतिटा, वॉर सायारएं मे যা লঙ্গী হিলি গা रोड, साजे कौ मारन यतिदिधि बा सबसे बडा मूल्य र ययक नाद भा ध्यान অন্ধ লি লীয়ায সি লিট অদম্য দুশ*দুলল্লি লহ सारियों ने ले तिया है । अवेले सायह को महानता ने লিলা নি উত্বয পয আবি নমল মা रदीशवि बी यह यात्रा राजनतित और गासमाजिक जीवन मे होती हुई साहिय में आई है ( मानदीद सम्बन्ध मूसत दो प्रबार दे होते निज हषा ऊर्खाघर (00712017011 8114 ৮০711০91 ি০171107/5)0)) 0 सामलतवादी एवं नौरस्धाही ध्यदस्था ऊर्ध्याधर भम्बन्धों को जन्म देती है और साम्यवादी अथवा प्रजातादित घासन स्यवस्या क्षतिज सम्वन्धो वो ॥ एक भवन की विभिन्‍न ईडे जिस प्रशार एफ के ऊपर एवं रखी रहती है उसी प्रतार ऊर्ष्पाधर सम्बन्धो मे प्रत्यक ब्यवित बे पावो कैः नीचे दूसरे बा सिर ओर उसके सिर पर दूसरे वे पाव होते है । इसमे अन्तिम सत्ता एवं महत्व (राजनीति में राजा का, परिवार में पिता बा और साहित्य में मायक का) केवल सर्वोच्च व्यक्ति का, होता है । इसके विपरीत क्षैतिज सम्बन्ध एक हीं सेत में उग्रे विभिन्न पौधो की तरह होते हैं जो अपने आप मे पूर्ण, स्वतस्त्र और सार्थरु है। इसमे एक पौधा दूसरे से बडा ऊचा और अच्छा हो सवता है परन्तु अपने इन गुणों के लिए वह अन्य पौधों पर निर्मर नहीं करता । राजनीति, समाज और साहित्य का इतिहास वास्तव से ऊर्ध्वा धर सम्बन्धों के सतिज मम्बन्धो मे विकसित होने का इतिहास है और रियासतों 2. न এ৪এএ৩র৪০৮ खा विगफाष्ट्‌ [ण्ठा ३ 20... छ. ४) ६ 9 17-18,




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