श्रीमद्भागवत के टीकाकार | Shri Madbhagvat Ke Tikakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(ই) कतियां : महपि व्यास ईम्वर के अवतार भाने जावे है, भव उनकी रचताओ के परिमाण को एक व्यक्ति को कृति मानकर सशय वरना निमूल है। गब्रह्मसूत्र, अशदश पुराण और महाभारत उनकी प्रसिद्ध कति है । “अष्टादश पुराणाना कर्ता सत्यवती सुत ॥” वाक्य से एवं विभिन्‍न पुराणों में उपलब्ध उनवे' नाम से उनका वक्त, त्व सिद्ध है । इनमे न केवल वेदव्यास के नाम अपितु उनवे' विषय में भी पर्याप्त सामग्री उपलब्ध होती है। देवी मागवत में २७ व्यासो कै नामोत्लेख पूर्वक अट्ठाईसवे द्वापर वे” व्यास को ही १८ पुराण निर्माता लिखा है । यद्यपि कतिपय उपपुराण मी व्यास की रचना कहे गए है तथापि भागवत मे अष्टादश पुराणो का ही उल्लेख है, उपपुराण मा मधिपुराणा फा नही । पुराणो के नाम निम्नलिखित है :-- ब्रह्म, पद्म, वेष्णच, श्व, लिग, गरुण, नारद, भागवत, अग्नि, स्कन्द, मविप्य, ब्रह्मवैवर्त, माकंण्डेय, वामन, वाराह्‌, मत्स्य, नर्म, ब्रह्माण्ड । इन पुराणो मे पूर्वापर रचना किसी मौ प्रकार निश्चित दिशावा सकेत नहीं देती क्योकि सभी पुराण ग्रन्य समी पुराणो मे उपलन्ध है । व्यास ने कई बार इनका सशोचन मी किया था) १६-महाभारत--इसके बारे मे प्रसिद्ध है कि यह 'महामारत युद १. पद्मपुराण सूट एण्ड माय १, पृष्ठ, ब्रह्म पुराण, अध्याय २६, ब्रह्म बँवर्त पुराण १1१०६: भूर्म पुराण, अध्याय ५१, देवी भागवत १।४, सभो मोर प्रकाशन कलकत्ता । दिष्णु वरण, अश ३ मौत प्रस गोरखप्र १६६० ई० 1 शिव पुराण, अध्याय ६४-ज्ञान सहिता, मुम्वई 1 भविष्य पुराण १।१।१--नवल्तक्शोर प्रघ लयनऊ । २. भागवत १२।७१२३-२४ भद्दम-भद्दय-चे द-म्र-यय -व-चतुदयम्‌ अता-प-लिग-कूस्कानि पुराणानिप्रचक्षते । (देवी मागदत १।३।२} ˆ




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