श्रीमद्भगवतीसूत्र भाग - 3 | Shri Mad Bhagavati Sutra Bhag - 3
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36 MB
कुल पष्ठ :
419
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भगवत्सुधर्मस्वामिप्रणीत भगवतीसूत्र.
| सचमं सयं.
१. ३ आहार २ बिरति ३ थावर & जीवा ५ पक्खी य ९ आड ७ अणगारे ।
८ छडमस्थ ९ भसंबुड २० अज्वउत्थि दस ससमंति सए ॥
पठमो उदसौ.
९. [०] वेणं कारणं तेणं समपणं आच पथं वदप्सी-जीवे णं भते ! कं समयमणाहारपः भष ? [০] गोयमा !
` सप्तम शतक.
१. [उद्देशसंग्रह-] १ आहार, २ विरति, ३ स्थावर, 9 जीव, ५ पक्षी, ६ आयुष्, ७ अनगार, ८ छम्मस्थ, ९ असंदत,
भने .१० अन्यतीर्धिक-प संबन्धे सातमां शतकमां दश्च उदेराको উ.
| . ` ` [अथर उद्रकं भहार-आहारकं अने अगाहारक इत्यादि बिषे हकीकत छे, बीजा उेशकमां बिरति-मत्यारुयानसंबेी वर्णन
के, भीजा उददेशकर्मा स्थावर-बनस्पति वगेरेनी बक्तव्यता छे, चोया उद्देशकमां जीव-संसारी जीवनी प्ररूपणा छे, पांचमां उद्देशकर्मा पक्षी- .
` खेग्वरजीगोनी इकीयत छे, छटा उदेशकमां आयुषु बगेरेनी हृकीकत छे, सातमां उद्देशकमां अनगार-साधु वरगेरेनी दृकीकत छे, आठमां
' अद्रेशकर्मों छद्मस्थ मनुष्यादिनी हकीकत के, नवमां उदेशकमां असंबृत-अमत्तसाधुबगेरेनी वक्तव्यता छे, अने दशमां उदेशकमां कालोदायि- .
प्रसुश्त अन्यतीर्भिकर्सबन्धी बंक्तव्यता छे. ] |
२. [प्र०] ते काले अने ते समये ( गौतम इन्द्रभूति ) यावत् ए प्रमाणे बोल्या-हे मगवन् ! जीव ( प्ररभवम जतां > कये समये
कअनादारेक ( आहार नहीं कैरनार ) होय !. [०] है गौतम ! ( परमजत्तों ) थम समये जीय कदाच आहारक होय अने कदाच अनाः
जो नाना मने
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अतिशमय निग््येर दोय छे, राजी महा. प. ९२% पे. ४९८.
शरि लीव मरण पायी ऋलमतिधी वर्मा अशस्. सस्रे इर परमदाबुधूना प्रथम समये ज आाहारङ हो हे, परम्धु उपारे ककरगति
छि सपर प्रथम समवे. भनक शो4.ठ.शने ` भीजे ঘাস, আনাতে হী উ, কাই গণ. অমি তনেল হা উ আই স্নগা
` १. » आदारना ने प्रकार छे-१ आंभोसमिश्रतित ( इन्कापूतेफ महण करायेक्ो ) आहार भने २ अनाभोगनिरतिंत ( इच्छाद्रिवाय अनाभोगपणे महण है
) आहार. तेमां भामोगतिरषतित भाहार 'वियत सबरग्रे दीम के, पर शनाभोयनिर्दर्तित आदर उत्पततिता अथमस्मग्रशी प्रारंभी अन्तसमय षी ¦
आह्ारफ भने
भनादारक-
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