बीसवी शताब्दी के हिन्दी नाटको का समाजशास्त्रीय अध्ययन | Biswi Shatabadi Ke Hindi Natako Ka Samajshastriya Adhyyan

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Biswi Shatabadi Ke Hindi Natako Ka Samajshastriya Adhyyan by लाजपतराय गुप्त - Lajpatrai Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1 ভিজ্নন-ডলভীহ্া समाजशास्त्र स्वस्य एव विकास समाजशास्त्र फा ज्ञाल्दिक अ्रथं अग्रेजी भाषा का झब्द 'सोटियोलाजी दो धाब्टा 'सोशियो (8000) और श्लाजी (ण्ड) को मिलाङ्रचनाहै 1 'मोशियो का भ्रथ है समाज से सम्बाधित আয 'लाजी' का भथ है ज्ञान श्रथवा विजश्ञान। इस प्रवार 'मौशियोलॉजी था शाब्दिव' भ्रय समाज स सम्बंधित वह विज्ञान है जो समाज के बारे म॑ वैज्ञानिक अध्ययन करता हैं परन्तु यह शाब्दिक प्रथ समाजशास्त्र वी वास्तविद प्रदृति तथा विपयश्षेत्र के बारे सम सब बुछ वताने मे श्रसमय दै। समाजशास्त्र की परिभाषा समाजशास्त्र के विषय मे विभित विद्गवाना ने भलग अलग प्रकार से परिभाषाएँ दी हैं। गिलिन और गिलिन ने समाजधास्त्र की परिभाषा इस प्रकार को है विस्तृत रूप म॑ समाजश्ास्त्र को जीवित प्राणिया वे' एक दुसरे के सम्पक में आन के फ्लम्वहूप उत्पन्न होनेवाली ग्रतक्रियाप्रा का प्रध्यमत माना जाता है । सोरोकिन के भनुसार, 'समाजणास्त्र सामाजिक सास्कृतिक घटनाझों के सामाय स्वरूपा, प्रारपो और श्नक प्रकार के प्रात सस्वधो का सासान्‍्य विज्ञान 1 मक्मं वेधर ने समाजशास्यर कम परिभाषा क्से हृए लिखा कि 'सपाजदास्त्र बह विचान है जो सामाजिक क्रिया का भ्रथपूर्ण (ध्याख्यात्मक) बोध कराने का प्रथत्त वरता है तथा जिससे इसकी (सामाजिक क्रिया की) गतिविधि तथा प्रभावा बी बारणसहित व्याख्या प्रस्तुत वी जा सके 1१ भ्रागवने भौर निमकाफ वे अनुसार 'समाजशाम्ध भनुष्य बे सामाजिक जीवन ধু 85০01983055 605৫868605৩ 1233 ৮৩ 581 1০ ১5 115 8104 01301৩7 80000580120 (00 (8৩ 8550০851100 01 1108 0६७85 सपय दयत উহ 08115701 82815192) 198 5 5 ब्‌ 5061010४ 14 3 हदए्टा॥17008 8टाट0०९ 0 ৪০০০-০০11912] 970९0 07८४४ ४१९७८ 19 18৩105৫060০ किण 68 9৩৫ হাজত হত6500501028 পচ 55 উতাতত। 5০০6 = द्य এহন 2213070115 परश्फलल € 90४, रतस ০7 1948 2 5 ब 8021415३2५ ७४ ६ ३९४६४०६ ७५३८७ ३७६०४७७५ पढ़ प्राक्‍शाजाला१७ एटेराजडणठाएड न




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