आर्थिक विकास के सिद्धान्त एवं भारत में आर्थिक नियोजन | Aarthik Vikas Ke Siddhant Avam Bharat Me Aarthik Niyojan

Aarthik Vikas Ke Siddhant Avam Bharat Me Aarthik Niyojan by प्रो॰ जी॰ एल॰ गुप्ता - Pro. G. L. Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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2 आ्राथिक विकास के सिद्धान्त करने के लिए बाध्य. किया कि यहि वे श्रल्पतिकरित देशों को आकाक्षाओं की पूति की दिशा मे सहयोगी नहीं हुए तो उनके अत्तर्राष्ट्रीय प्रभाव-क्षेत्र को गहन और व्यापक आघात पहुँचेगा । विश्व की भहांशक्तियाँ आथिक-राजनोतिक प्रमांव-द्षेत्र के विस्तार मे एक दूसरे से पिछड जाने के भय से अल्पविकसित देशों को ग्राविक सहयोग देने की दिशा मे इस तरह प्रतियोगी हो उठी | इसमे सन्देह नहीं कि अल्पविकप्तित देशों मे व्याप्त गरीबी को दूर करने मे धनिक राष्टो को र्वि कुड हद तक सानवतावांदी एंद्देश्यों से भी प्रेरित है, लेकिन मूल হণ से और प्रधानतया प्रेरणा-स्रोत प्रभावद्ोत्र के विस्तार कौ प्रतिस्पर्द्धा ही ই। प्रो० एल डब्लू शैनन ने वास्तविकता का सही सुल्याँकत किया है कि “भविष्य में वहत वर्षों तक अल्पविकप्तित देशों का विकास अमेरिका और सूस के बीच गहन प्रतियोगिता का क्षेत्र रहेगा 1 विध्व की समस्याओं में प्रपती महत्त्वपूर्णो स्थिति के कारण ऐसे अद्ध -विकसित क्षेत्र विशेष रुचि का विषय रहेगे जो या तो ऐसे सुविशाल प्राहृतिक साधवों से सम्पन्न हो जिनकी आवश्यकता विश्व-शक्तियों को हो अथवा जौ सैनिक दृष्ठि से सामरिक महत्त्व की स्थिति रखते हो 1”? आशिक विकास का अर्थ एवं परिभाषा {शत्र ৪00 10611016190 एं 7९णाणांए (1091) आधिक विकास से अभिप्राय विस्तार की उस दर से है जो अ्रद्धं-विकसित देशो को जीवन-निर्वाह-स्तर (900$516706 1९४४)) से ऊँचा उठाकर अलंपकाल में ही उच्च जीवनस्तर प्राप्त कराए। इसके विपरीत पहले से हो विकप्ित्त देशो के लिए आधिक विकास का आशय वर्तमान बृद्धि की दर को बनाए रखना या उसमे वुद्धि केरा ह । ग्राथिक विकास का ग्रर्थ किसी देश की पर्थ-व्यवस्था के एक नहीं वरन्‌ समी छोत्रों को उत्पादकता मे वृद्धि करना श्लौर देश की निर्घनता को दूर करके जनता के जीवगे स्तर को ऊँचा उठाना है) श्रथिक विस द्वारा देश के प्राकृतिक ओर झन्य साधतो का समुचित उपयोग करके अर्थव्यवस्था को उन्नत स्तर पर ले जाया जाता ই । ग्राथिक विकास के विभिन्न पक्षों पर यद्यपि आज भी काफी असहमति है, तथापि इसको हम एक ऐसी प्रक्रिया (270८८६६) कह सकते हैं जिसके द्वारा किसी भी देश के साधनों का अधिकाविका कुशलता के साथ उपयोग किया जाएं। आर्थिक विकास को कोई निश्चित और सर्वमान्य परिभाषा देना बडा बठिन है । विभिन्‍न लैखत्रों ते इसकी परिभाषा भिन्ने भिन्न विकास के माप के आधारो पर की है। (क) विद्वानों के एक पक्ष ने कुल देश की ग्राय म सुधार को झ्लाथिक विकास कहा हैं । प्रो९ दुजवेत्स, पाल एल्वर्ट मेयर एवं वाल्डबिने, ऐ जे यगसन आदि इस विधारधारा के प्रतिनिधि हैं । 1 1. ज्र॑ 506070ए० सवम तद्व, ¢ ॥




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