गृहस्थ धर्म | Grihasth Dharam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१९) ऋतुमतीका वतेन २१३. रजस्वलाकी शुद्धि २६४ থাইলঘাঁ समाधिमरण तथा मरणकी क्रिया २६४ समाधिमरणकी ५ शुद्धि २७० समाधिमरणके ५ अतीचार २७० मरनेपर क्या क्रिया करनी चाहिये ? २७१ तेईेसवाँ जन्म-मरण-अश्लोचका विचार २७९ कन्यामरण--अरोच २७९, चोवीसवॉ समयकी कदर २८१ गृहस्थका समय विभाग २८३ पच्चीसवों जेनधमे एक प्रकार है और वही सनातन है। २८५ उव्वीसवों जैन ग्रहस्थ धर्म राजकीय ओर सामाजिक उन्नतिका सहायक है न कि बाधक । २९ १ सत्ताइंसवाँ जेन पंचायती समाजोंकी आवश्यकता. २९५ अह्वाइसवाँ सनातन जेन धमकी उन्नतिका सुगम उपाय २९० उन्तीसवाँ पानी व्यवहारका विचार २९७ तीसवॉ हम क्‍या खाएं ओर पीएं ! २९८ इकतीसवां फुटकल सूचनाएं ३०छे. नित्य नियम पूना,




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