आत्म - जाग्रति | Aatma-jagrati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आत्म जागृति अफार्‌ बिन्दु-सयुक्त नित्य ध्यायन्ति योगिन, फामद्‌ मोक्षदे चैव ञथ्काराय नमोनम । ॐ मे पच परमेष्ठि स्थित £ै। जसे, भाराध्यदेव अदहत भंगयान एव ध्येय स्वरूप सिद्ध परमात्मा! मद्य सद्गु जसे, आचार्य साधु, उपाध्याय साधु, एवं अढाइ दीप कै पन्द्रह कमे भूमियो म मोक्ष मागसा साधन करनेवाले सय साधु) र्नका मो सायन मामं आलम धर्म सम्यग्‌ दशने तान चारि स्वरूपः याने मोक्ष साधक आगत्माओं सै ठेर रक्षय स्वरूप सिद्ध परमात्मा पर्यन्त समाया हुआ है। उ#फार प्रणव, अनादि मत्राधर दे। एप पच परमेष्ठि बीज» त्ेखोकष्य वीज तथा चौदह पूर्वौ का सार है।




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