विधवा विवाह उपन्यास | Vidhva Vivah Upanyas

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Vidhva Vivah Upanyas by मोक्षाकर - Mokshakar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१३) 3४ सर्वपामेकभोजनकराय नमः ( नेवेश्रप्त ) उ्े मोक्षमागेविध्येसकाय नम ( अचमनस ) ३४ अवतारनिपेधाय नम; ( तविलस ) ॐ गोवचर्भविक्रयकराय नमः ( पगीफष्म्‌ ) 35 शिव्पशाब्रोपदेशिने नमः ( बस्रम्‌ ) ३४ घोश्कलिप्रवत्तेकाय नम ( द्रव्यदक्षिणां ) ॐ मह्मधोरथ्तमागेभचरितकराय, सनातनधर्मविनिन्द्‌- काय, सत्य आत्मज्ञान निवत्तकाय, वेदब्राह्मणसंत विमुखाय, अधथमे स्व॒रूपाय, आत्मोपदेशे मतिमंदाय विरोध ऋृतानां बहुरंगाचायंगपोंडानंदाय नमः । ' यह प्रार्थना करके ध्यानम्‌-- | चेदिक धम्मे निवार पाप पाखंड वदाया । निन्दे मृतिं पुराण अर्थं प्ये मन भायो ॥ विधवा व्याह कराय पुरातन रीत नसा | वणे मेद्‌ विनिवार नमसते करी कराई ॥ तेरी चमार कोरी खु छघ्रु जातन आरन करो । धर्म कर्म मति पुण्यकी मक काहि अव संचसे । ६ +~. वानयाग, ३४ अस्य श्री गपोड मंत्रस्य वहरंगाचार्य ऋषि अविरतक्षर्ण छंद:।कलियुगानन्द देवता, विरोध वीजम्‌, अश्रुचिश्ञक्ति३, पूत्तता कीलकम्‌, श्री कलियुगानंद प्रीये जे विनियगः । ( इतना करके )




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