रामनगरी रामनगरकर | Ramnagari Ramnagarkar

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Ramnagari Ramnagarkar by दामोदर खडसे - Damodar Khadase

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“साला हज्जाभ है, हज्जाम ! मैं अपनी ही घुन मं चला जा रहा था, तभी विसी बो आवाज बातो में पड़ी । मुझे लगा, मुझे हो कोई पुकार रहा है, इसलिए पीछे मुडमार देखा, एव साइक्लिवाले और एक पैदल चलनेवाले वे बीच चगड़ा चल रहा पा। वयो जो, किसे हृज्जाम कह रहे हैं?” “आपको | ये बया साइविल चलाने वा तरीका है ? साइकिल नहीं चला सकते तो हजामत वा धाघा वीजिए | ” 'आप फुटपाथ छोडकर खुली सडफ पर चलें | भई, रास्ता पर ठीव' से घलता मालूम ने हो तो आप ही हजामत करें इतता पहर र साइक्लिवाला पैंडिल मारवर चलता बना | यह सारा किस्सा मैं सुन रहा था । मुझे समझ नही पढ रहा था भिः लोग याग अपने पसगड में मेरा धाधा क्या घुसेडते हैं ? यह वया इतना गया गुशरा है | परन्तु लोगा पो ऐसी आदत पड गयी है कियातों बातों म॑ साथा इससे अष्छा है, हजामत कर !' जैसी गालीयुमा बात बह्ठते हैं । व डपटर पैसेंजर का झगड़ा होने पर--- এবাদত ই নি হালে & 7 ड्राइवर ने गाड़ो घीमी घलायी ता-- * माला, कितना घटिया ड्राइवर है । इससे अच्यश ঘা পা চগাগণ या धधा मरता (৮ साहब अपने मावहुत बराम बराव याते अधिवारी पर षपशा परेगा--- आपसे यह सभव नही, इससे अच्छा है हूआामत बर




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