सिन्धु - सभ्यता का आदिकेन्द्र - हड़प्पा | Sindhu - Sabhyata Ka Aadikendra - Hadappa
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
273
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्थिति क्या इतिहास भू
। ईस्ट” में लिखते हैं कि अति प्राचीन युग मे जिम्तकी अर्वावीन भ्रवधि १००० वर्ष
डईूँ० पु० के लगभग हो सकती है मिन्धुदद का काठा, बलुच्चिस्तान, ईराक, मिश्र शोर
अफ्रीफा का सहरा एक ही भूकक्षा मे स्थित होने के कारण समा जलवायु के भागी
थे इग देशों वी अन्यमहाशार (एटलाडिक ओशन) मे प्रादुभूत जलधर-पवन
(मानसून) सीचले थे और वर्षा-बहुलता के वारण ये देश उस समय प्रहेति के सुदूर
लीला-स्थल एवं ससारे की प्राचीनतम सम्बताओ के केन्द्र बने हुए थे । किन्तु समय
परिव्तेन्नील है। फालान्तर में जब यूरोप आत्यन्तिक टिमाटोप तथा उसने फलस्वरूप
भारी वानावरणा से विमुक्त हो गया तो अन्ध४हासागर वे मानसून पवनो को दम
महाद्वीप में प्रवेश करने का अयसर मिला, और उन्होंने प्रपना प्रावीन मार्ग छोड़कर
यूरोप के झदर नया मार्ग वता लिया । इस दारुण परिवर्तत से इस श्रक्षाश লিখল
मिश्र, ईराक ग्रादि सभी पूर्वोक्त देश मण्स्यल बन गये ।
प्रो० चाईल्ड पा सिद्धान्त यथपि सुण और रोचक है, त्यापि सर जान
मा्गंल बै विचार में इसे मान लेने में बवई आउपत्तियां हैं। उनके मतामुमार
सिधुदेश, वसूचित्तान और प्रश्चिनी पजाव यो सीचने बाली मागसून पवगो वा णनन
झन्धमहासागर से नटी भ्रपितु अरब सागर से होगा था । उनवा यह मत भारत के
जलतायु विभाग की राम्मति पर आधारित है । मार्शल के इस सिद्धान्त के श्रनुसार
जव तकये देश इन पवनों से प्रभावित रहे इनमे श्रचुर वर्षा होनी रटो, परन्तु
कालान्तर में जब ये पवरनें मार्गभ्रप्ट होकर दुसरी भोर बहने लगी तो इस भमकर
परिवर्तेन से पुरानी मस्पता की इतिश्री हो गयी 1
सल्षिप्त इतिहास--हडप्पा के खडहर ने सम्बन्ध में जो दन्तकथा परम्परा से
चली प्रा रही है यह इस प्रकार है कि प्रावीनकास मे यहाँ हरपाल नाम का एक दुरा-
चारी राजा হারল बरता था । उमवे दुराचारो वे कारण दवीं-कोप से एक ही হাল
में तारा नगर नप्ठ हो गया । कहा जाता है कि हृब्प्पा नाम भी इसी राजा के नाम
पर पडा [हरपालपुर-टडप्पा)। सर अलेग्जैंडर पनिधम वा विचार है कि हडप्पा
शहर शोर 'पो-फा टो नाम वा स्थान, जिसगा उल्लेख चीनी यात्री हें न-सांग ने अपने
भारत यात्रा पुस्तव मे विधा है, एक ही स्थान के सूचब है । पर-तु प्रमाणाभाष से
न तो हडप्पा ই नप्ट होने की दन््तव॒था और न हो पो-फा टो और हडप्पा बी एबात्मता
श्रद्धेम हो सकती हैं ।
हंडप्पा के सम्बन्ध में जी पहला विश्वसनीय लेख मिलता है वह मेसन नाम का
एक श्रग्नेज यात्री का है, जिसमे इस स्थान को सन् १८२६ ई० में देखा था। उसके
पाँच वर्ष पीछे स्द् १८३१ में कनेल वे स ने इन सडहरों बा तब निरीक्षर किया जब
चह इग्लेण्ड के राजा की ओर से दूत वन कर महाराजा रणजीतससिंह मे मिलने लाहौर
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