जिनसहस्त्रनाम भाषा | Jin Sahastranam Bhasha

Jin Sahastranam Bhasha by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ॐ ), है ৯১৫৭ রঃ পা পলি ক উজ ০০০০০ व कै. घोर थी बुध सन्मार्ग: शुद्ध: तुम जगदीस ५ ९९ ॥ यूत सवाक है। प्रज्ञा पार सिता:। দাহী यति नियमित सुतुम इंद्धिय महा पिताः ४ १६ ॥ है भदन्त लुम भद्ग कृत भद्र केटप सु वृक्ष । करः प्रदरः तुम भव्य के त्रिभुवन में प्रत्यक्ष ॥ ९४ ॥ वु उन्मूित कमं अरि क्म काए के आशु। सुक्षणि कर्समण्यः कर्मठः तीस खबन में आंश ॥ १४४ हेयाहेय विचक्षण: अनन्त सक्ति अक्षेद्य । त्िपुरारि: चेलेचनः ज़िनेत्र:ः सु अभेद्य ॥ १६ ॥ तअम्बक त्रिअक्ष केवल: ज्ञान घीक्षण: एव । न्त ৮ . समन्त भद्गः सान्‍त अरि धर्मचोर्यं दैव ॥ ९७ ॥ दया निधिः तभ नाम हि सद्ष्न दसी दंस । লিল অর্পন हा कृपालुः कृप दक जगद्रीस ५ १८ ॥ शुभयुः सुख है अभु सास दूत भगवान । पण्य रासि हो निरामय घर्मपाल जग জাল ॥ ২ ॥ जगत्पाल तुम चर्म के साम्राज्य गुणबान | नसायकादृग्बासांद शत भथमतल नाम प्रधान ॥ २० ॥ दत ज्रां दिग्बालादिशत ॥ ६०० 0 ~ | चच प्‌ ॥ समोसरण पत्ति লজ্ঞা জাতি | জানাল कोविद्‌ कहत वखान सम चित कर ध्यात जे आप | हो पत्रित्ननर सो तज पा- ~ --------~----------------------------- ~~ स्िलस हस्चनाम साया! ॥ (१४ ) | घ॥१९१५॥ अमित निरक्षर तुम च्वांच इंस। तदाप अगटद सु अर्थ जगदीस ॥ निस्सन्देह जु स्तुति करें। खो अमाष्ट फ- ल सहजे बरे. ॥२॥ तमही वन्धु जगत में एक। तुम ही बैद्य जगत सु विवेक ॥ तुमहौ जगत्‌ में ध्यावन योग। 0 ध बे तन आप সপ




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