स्वामी भक्ति | Swami Bhakti

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Swami Bhakti by सुभाषचन्द्र वर्मा - Subhashchandra Varma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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के रताविला < स्थान-नाव्यशाला । सन्रधारका रसवामिभक्तोंका गुणगान ओर बन्दना करते हुए प्रवेश ) गायनं (< 1 स्व्रामीन्ती भक्ति करते हैं, जगतमें जो पुरुष नारी | रामको प्याय था वहरंग, और सीना भी थी प्यारी ॥ खुकन्या, द्रोपदी, कुन्ती, अहिल्या, चिएुला, खाविन्नी | ध्चन्य इन दैचि्योको, स्वामीकी भक्तिको उर धारी | था स्वामी भक्त हुर्गाइस, भाला ओर सामाशाहर | इनके आचरणोंकी तारीप, दुनिया करती है सासे ॥ गिनाऊ' नाम किन किनका, हुए है।जेतने स्वामि-भक्त। खदी शक्तिकी और भक्तिकी, है महिभा चड़ी भारी ॥ करूँ प्रणाम वारश्यार, उनके सत्य गोरवको | करी तारीफ कवि्योने, दिखत शण शारदा हारी ॥




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