दिग्विजयमहाकाव्य | Digvijay Mahakavya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
10 MB
कुल पष्ठ :
183
श्रेणी :
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No Information available about अम्बालाल प्रेमचन्द्र शाहा - Ambalal Premachandra Shaha
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्व० धा यू भी बदादहुर शिखी सिनी ६५
आऋगोफ के भूगभविधाने छगतां सामयिकों के पुस्तकों बांचता ज सदा देखाता हता. पोताना एवा विशिष्ट बाचनना
शोखने डीमे तेओ इंग्रेजी, बेगाडी, हिंदी, गुजती आदिमा प्रकट यता उच कोटिना, उक्त विषयोने छगता विविध
प्रकार्मां सामयिक पत्रों अने जर्नल्स् आदि नियमित मंगाबता रहेता हता. आट्ट, आर्किऑछॉजी, एपीप्राफी, न्युमेस्मेंटिक,
ज्योग्रोफी, आइकोनोप्रोंफी, हिस्टरी अने माईनीग आदि विंषयोनां पुस्तकोनी तेमणे पोतानी पासे एक सारी सरखी
ऊ्मिरी ज बनावी लीधी हती.
तओ खमावे एकान्तप्रिय अमे अस्पमाषी हता. नकामी वातो करवा तरफ कै गप्पासप्पां मारवा तरफ तेमने बहु
ज अभाव हतो. पोताना व्यावसायिक জ্ঘনহ্থালৌ के षिश्चाठ कारभारनी काबतोमो परण तेभो बहू ज मितभाषी इता,
परंतु यारे तेमना प्रिय बिपयोनी ~ जेषा के स्थाप्य, हतिक्ास, चित्र, शिप आदिनी ~ चचा जो नीकठी होय तो तेमां
तेभो शएटखा निम्र थई जता के कलाकोना कलको बही जता तो पण तेज वेधी थाकता नहीं के कंटाठता नही.
तेमनी बुद्धि अद्यत तीक्ष्ण इती, कोई पण वस्ने समजवामां के तेनो मर्म पकडवामां तेमने कंडी वार न
खगती. विज्ञान अने तचज्ञाननी गभीर बाबतो पण तेजओ सारी पेठे समजी शकता हता अने सेमनु मनन करी तेमने
पचावी राकता हता. तर्क अने दीटमां तेओ मोय मोटा कायदा शाल्लीओने पण आदी देता. तेम ज गमे तेबो
चालक माणस पण तेने पोतानी चाराकीथी चकित के मुग्ध बनावी शके तेम न हतु.
पोताना सिद्धान्ते के विचारमां तेजो खूब ज॒ मक्षम रहेवानी प्रकृतिना हता. एक वार विचार नक्षी कयौ
परी अने कार्यनो खीकार कयी पष्ठी तेमांथी चलित यवानुं तेओ बिल्कुल पसंद करता नहीं.
व्यवहारमां तेओ बह ज प्रामाणिक रहेगनी वृत्तिवाव्य हता. बीजा बीजा धनवानोनी माफक व्यापारमां दगा-
फटका के साच-झूठ करीने धन मेव्टववानी तृष्णा तेमने यक्किचित् पण यती न इती. तेमनी आभी म्यावहारिकि
प्रामाणिकताने छक्षीने हखेडनी मर्केटाईर बेंकनी डॉयरेक्टरोनी बोर्डे पोतानी कलकत्तानी शाखानी बॉर्डमां, एक
डायरेक्टर অনা माटे तेमने खास विनंती क्री इती के जे मान ए पहेलां कोई पण हिंदुस्थानी ब्यापारीने मब्युं न होतु.
प्रतिमा अने प्रामाणिकता साथे तेमनामां योजनाशक्ति पण घणी उच्च प्रकारनी दृती. तेमणे पोतानी ज॑ खत्ंत्र
बुद्धि अने कुशव्ठता द्वारा एक तरफ पोतानी घणी मोटी जमीनदारीनी अने बीजी तरफ कोटीयारी विगेरे माइनींगना
उद्योगमी जे पुत्यवस्था अने घुषटना करी हती ते जोरईमे ते ते विषयना श्ञाताओ चकित यता हता. पोताना घरना
লালামা লালা कामथी ते छेक कोरीयारी जेवा मोटा कारखाना ह्ुषीमां - के ज्यां हजारो माणसो काम करा होप-
बहु ज नियमित, व्यवस्थित अने सुयोजित रीते काम चास्यां करे तेवी तेमनी सदा व्यवस्था रहेती हती. छेक
दरवानथी रई पोताना समोबडीया जेवा समर्थ पुत्रो सुधीमां एक सरख़ुं उच्च प्रकारनुं शिस्त-पालन अने शिष्ट-आचरण
तेमने श्यां देातुं हपु.
सिघीजीमां आवी समर्थं योजकशक्ति होषा छतां ~ अने तेमनी पासे संपूर्ण प्रकारनी साषनसंपन्षता होवा छतां, तेओ
घमालबाव्य जीवनथी दूर रहेता इता अने पोताना नामनी जष्टिरातने লাই ক छोकोमां मोटा माणश गणावानी खातर
तेओ तेवी करी प्रति करता न हता. रा्रबहादुर, राजबदर के सर्-नाईट विगेरेना सरकारी खेताबो धारण कवानी के
कान्सीखोमां जई ओनरेवख भक बनवानी तेमने क्यारेय কৃজ্ভা थ न हती. एवी खारी आडम्बरादयी प्रवृत्तिमां
पैसानो दुर्व्यय करवा करतां तेओ सदा साित्योपयोगी জন शिक्षणोपयोगी कार्योमां पतान! धननो सदूष्यय करता
हता. भारतवर्षनी प्राचीन कट अने तेने ङती प्राचीन बस्तुभो तरफ़ तेमनो उत्कट अनुराग हृतो अने तेथी ते मटे
तैमणे छाखो इपीया ख्या हता.
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