तत्त्वार्थसूत्र - जैनागम - समन्वय | Tattwarth Sutra - Jainagam - Samanway
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
312
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about आत्माराम जी महाराज - Aatmaram Ji Maharaj
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ रू ]
का अलुकरण है | अतएव सिद्ध हुआ कि आगगमों का स्वाध्याय अवध्य
करना चाहिये, जिस से सम्यर्दशशन, ज्ञान भर चारित्र की प्राप्ति होने पर
निर्बाणएपद की प्राप्ति हो सके ।
श्री श्री श्री १००८ आचायंबय श्री पृज्य पाद मोतीराम जी महाराज,
उनके रिभ्य श्रीश्री श्री १००८ गंणावच्छेदक तथा स्थविर पद् विभूषित
श्री गणपति राय जी महारान, उनके शिष्य श्री श्री श्री ०८ गणावच्छेदक
श्री जयराम दास जी महाराज और उनके शिष्य श्री श्री श्री १०८ प्रवतक
पद विभूषित श्री शालिग्राम नी महाराज की ही कृपा से उन का शिष्य में
इस मह््त्पपूर्ण काय को पूण कर सका हूँ ।
गुरुचरणरज सेवी --
जेनमुनि-उपाध्याय-आत्माराम,
User Reviews
No Reviews | Add Yours...