तत्त्वार्थसूत्र - जैनागम - समन्वय | Tattwarth Sutra - Jainagam - Samanway

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Tattwarth Sutra - Jainagam - Samanway by आत्माराम जी महाराज - Aatnaram Ji Maharaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[ रू ] का अलुकरण है | अतएव सिद्ध हुआ कि आगगमों का स्वाध्याय अवध्य करना चाहिये, जिस से सम्यर्दशशन, ज्ञान भर चारित्र की प्राप्ति होने पर निर्बाणएपद की प्राप्ति हो सके । श्री श्री श्री १००८ आचायंबय श्री पृज्य पाद मोतीराम जी महाराज, उनके रिभ्य श्रीश्री श्री १००८ गंणावच्छेदक तथा स्थविर पद्‌ विभूषित श्री गणपति राय जी महारान, उनके शिष्य श्री श्री श्री ०८ गणावच्छेदक श्री जयराम दास जी महाराज और उनके शिष्य श्री श्री श्री १०८ प्रवतक पद विभूषित श्री शालिग्राम नी महाराज की ही कृपा से उन का शिष्य में इस मह््त्पपूर्ण काय को पूण कर सका हूँ । गुरुचरणरज सेवी -- जेनमुनि-उपाध्याय-आत्माराम,




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