विज्ञान कक्षा 9 भाग 2 | Vigyan kaksha 9 Bhag-2
श्रेणी : विज्ञान / Science
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
375
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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असमतापी कहते हैँ ओर वे गर्मियों अथवा धप
वाले दिनों मे अधिक सक्रिय होते हैँ । इनके कछ
उदाहरण छिपकली, सांप, तथा मच्छर हैँ ।
धूवीय क्षेत्र की बर्फीली ठंड में अन्य प्रकार के
अनुकूलन देखे जा सकते हैं। यहां पर पाए जाने
वाले जन्तुओं का रंग प्रायः सफेद अथवा हल्का
होता है। यह रंग उनके छद॒मावरण तथा गर्मी
को नियमित करने में सहायता करता है । यहां के
जन्त गर्मी तथा पतझड़ में बहुत खाते हैं और
बसा के रूप में ऊर्जा को एकत्र कर लेते हैं। कड़ी
सर्दी में कुछ माहों तक ये सोए रहते हैं अथवा
'शीतवास करते हैं। शीतवास में इनकी उपापचय
क्रिया बहुत ही कम हो जाती है। यहां तक कि इन
ठण्डे बर्फ से ढके हुए स्थानों में पाए जाने वाले
पौधों की भी ऊंचाई कम होती है। ये महीनों तक
प्रसुप्त अवस्था मेँ रहते हैँ । इनकी पतली अथवा
काटेदार पत्तियां होती हैं जिन्हें ये जल्दी-जल्दी
गिरा देते हैं। प्रायः इन क्षेत्रों में वृक्ष नहीं मिलते
क्योंकि वे इतनी ठण्ड में जीवित नहीं रह पाते हैं ।
15.9 अनुकूलन कैसे होता है?
यह अनुकूलन कैसे होता है? जीव एकदम यह
निर्णय नहीं ले पाते हैं कि वह अपने शरीर या
जैविक गुणों को वातावरण के साथ बदल सकें।
किसी स्पीशीज की बहुत बड़ी जनसंख्या में
शायद कोई एक ऐसा जीव होगा जो दूसरों से कछ
भिन्न होगा। यह जीव अन्य जीवों की अपेक्षा
वातावरण की परिस्थितियों को अच्छी तरह सहन
करने मेँ समर्थ हो सकता है। कछ कीटो के
उदाहरणं लें। जब कोई कीटनाशक जैसे
डी.डी.टी. डालते हैं तो बहुत सारे कीट मर जाते
हैं। कीटों की उस बड़ी जनसंख्या में कछ ऐसे भी
कीट होंगे जिन पर डी,डी.टी. का कोई प्रभाव नहीं
विज्ञान
होगा । ये कीट वृद्धि करते हँ ओर इनमें प्रजनन
होता है । यदि दस प्रकार प्रतिरोधक कीट प्रजननं
करें तो शीघ्र ही उस क्षेत्र में प्रतिरो धक कीटों की
जनसंख्या बढ़ जाएगी। इस नई संतति पर
डी .डी.टी. जैसे कीटनाशक का कोई प्रभाव नहीं
पड़ेगा। इसे हम वातावरण से अनुकूलित होना
कहते हैं। बहत से कीट जन्म से ही वातावरण के
ताप से अनुकलित होते हैं, परन्तु पशु तथा
मनष्यों में इस प्रकार का अनकलन नहीं होता है।
यदि कड़ी ठण्ड में कपड़े पहनाकर या ढंक कर
इनका बचाव न किया जाए तो यह जीवित नहीं
रह पायेंगे। कीट सम॒द्र में नहीं रह पाते हैं इनका
शरीर लवणीय जल सहन नहीं कर सकता।
हमने ऊपर उन जीवों का वर्णन किया है जो
अपने वासस्थान से अनूकलित थे। ऊपर दी गर्ह
जानकारी अनकलन करै सफल उदाहरण है।
हमने अभी तक असफलता के विषय मे कृ नहीं
कहा है । डोडो एक पक्षी था जो मोरीशिस ओर
तटीय अफ्रीका के टापुओं में रहता था परन्तु अब
वह लप्त हो गया है। जबकि ऑस्ट्रिच मुर्गी तथा
इम् जैसे पक्षी जीवित है तथा अच्छी तरह से
फल-फल रहे हैँ । डोडो ऐसा क्यों नहीं कर
सका?
ऊपर का उदाहरण इसलिए दिया गया है कि
आप यह न सोचें कि जीव अपने आप को
वातावरण के अनुकूल ढालने के लिए अपने में
परिवर्तन करने का फैसला स्वयं कर लेते हैं। जीव
ऐसा नहीं करते और न ही वे ऐसा कर सकते हैं ।
जीवों मे स्थायी परिवर्तन आनुवांशिक या
आनुवाशिंक विधियों से होते है । अन्यथा परिवर्तन
एक संतति से दूसरे संतति में नहीं आ पाते है।
यदि हम चिकित्सा पदति से घोड़े की गर्दन को
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