शमशेर, नागार्जुन एवम त्रिलोचन की काव्य - संवेदनाओं का तुलनात्मक अध्ययन | Shamsher Nagarjun Awam Trilochan Ki Kabya Samvedanayo Ka Tulanatmak Adhyayan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
37 MB
कुल पष्ठ :
327
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अध्याय १-खण्ड क्
सवेदना : आशय ओर स्व्रूप्
संवेदना शब्द की व्युत्पत्ति विद धातु मे यु प्रत्यय जोडने से यु के स्थान पर अनु आदेश के होने व इः
को गुण करने से वेदन शब्द के कारण तत्पश्चात स््रीलिगमं टाप् प्रत्यय जुडने पर वेदना शब्द बना |
वेदना शब्द के पूर्वं सम् उपसर्ग जोड़ने से सम्वेदना शब्द बना है ¡ वेदना का सामान्य अर्थ है- कष्ट, दुख
या पीडा] -सम' उपसर्ग के प्रयोग से वेदना शब्द मे अर्थ वैशिष्ट्य उत्पन्न होकर संवेदना का अर्थ सहानुभूति
हो जाता है।- १
'संवेदना' शब्द, प्रयोग और संदर्भ के अनुरूप विभिन्न अर्थों का वाचक हैं। अंग्रेजी में संवेदनाके लिए
संसेंशन, सैम्पथी, सेन्सिटीविटी , इमोशन, संसेशनलिज्म, इमोटिव मीनिंग, एम्पेथी इत्यादि शब्द प्रयुक्त होते है
जो प्रसंगानुसार साहित्यिक, मनोवैज्ञानिक व दार्शनिक तथ्यों को प्रकट करने के लिए होते हैं। अग्रेजी के
बरक्स हिन्दी में सवेदना शब्द ही है जो अपने आप में बेहद व्यापक व तमाम अर्थ व्याप्तियों के लिए प्रयुक्त .
होता है। वस्तुत. सवेदना शब्द का यह अर्थ व्याकत्व हीउसे बेहद महत्वपूर्ण और इसी क्रम मे बेहद सूक्ष्म भी
बना देता है जहां अनेक अर्थ सम्भावनायें संशिलष्ट स्तर पर प्रयुक्त होती है।
मानव जीवन का विकास विकसित होते संवेदना का ही बढ़ाव होता है। किसी चीज को देखना,
वास्तव में देख कर तुरतभूल जाना नहीं है अपितु यह मस्तिष्क को सक्रिय बनाना होता हैं [करण यह है कि
हर चीज वह चाहे भ्व जगत् से सम्बद्ध हो या कि भौतिक चीजों से मनुष्य को संवेदित अवश्य करती है।
संवेदना का यह ग्रहण मनुष्य को इसी लिए पग पत्र पर करना पडता है।
संवेदना शब्द आधुनिक जीवन बोध से विकसित हुआ शब्द है। ऐसा नहीं है कि मध्यकालीन या
प्राचीन साहित्य में संवदेना का विकास नहीं मिलता है। परन्तु आधुनिक काल में पहली बार संवेदना को एक
विशिष्ट अर्थ प्रदान करके इसको भी एक मूल्य के रूप मेंजाना गया। यह जीवन का बोघ कराने वाला ऐसा
शब्द है जहां तमाम अनुभव, विचार, अनुभूति, दर्शन तर्क व जीवन को समझने की समझ हमें एक साथ देखने
के मिलती है।
सामान्यतः इस शब्द का प्रयोय मनोविज्ञान, दर्शन शास्त्र व साहित्य शास्त्र के अंतर्गत हुआ है |
इसीलिए इस शब्द की मनोवैज्ञानिक, दार्शनिक व साहित्य शास्त्र के सन्दर्भो में विभिन्न व्याख्यायें भी उपलब्ध
होती हैं। मनोविज्ञान कोश के अनुसार 'संवेदना चेतना की वह अवस्था है जो किसी एक इन्द्रिय के उत्तेजित
होने पर उत्पन्न होती है और जिसका तात्विक विश्लेषण नहीं किया जा सकता है। एक अन्य मनोविज्ञान शब्द
৭. मंजुला पुरोहित - नयी कविता संवेदना और शिल्प- अध्याय २ पृ० १८।
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