रूसी कहानी संग्रह | Ruusii Kahaanii Sangrah
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
199
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कांतिचन्द्र सौनरिक्सा-Kantichandra Saunriksa
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ता-ता. द
माडेस्यविख के दहेज़ नहीं चाहिए थां। पर यह जानकर
उसे खुशी ज़रूर हुई थी कि लड़की के पास कुछ सम्पत्ति है |
उसके अच्छे नाते-रिश्ते थे ओर उसकी पत्नी भी बड़े प्रभावशाली
घराने की थी। उसने सेचा---“इन देानों बातों से शायद कभी
सुझवसर आने पर लाभ हो वह अपने व्यवहारों मे बड़ा शान्त
और धीमा रहता था। अपने के न इतना बड़ा दिखाता था कि
दूसरें लोग उससे ईर्ष्या करे, और न इतना छोटा ही रखता था
कि उसे दूसरों से ईर्ष्या करनी पड़े । उसका हर कॉम समय पर
आर उचित ढंग से होता था |
विवाह के बाद अपनी पत्नी के साथ माडेस्टोविख के व्यवहार
मे ऐसी कोई बात नहीं मालूम पड़ती थी जो बुरी कही जा मके |
किन्तु, जब अजैग्जैंड़ा गरमंबती हुई थी, तब माडेस्टोविख ने यो ही
अस्थायी रूप से किसी दूसरी स्त्री के पास जाना शुरू कर दिया।
किसी तरह अलैग्ज़ेड्रोवनगू को यह बात मालूम पड़ गई, पर इससे
उसके हृदय को कोई विशेष चोट नहीं लगी और इस बात पर स्वयं
उसे भी आश्चर्य था | अपने नव शिशु का सुख देखने की लालसा
और अधीरता में उसके अन्य सभी विचार खो गये थे | उसके
लड़की पैदा हुईं | उसने उसके पालन-पोषण में अपना तन-मन लगा
दिया | पहले तो वह पति से भी अपनी नन्हीं बच्ची की तनिक-
तनिक-सी बात बड़ी खुशी के साथ कहती थी, लेकिन जब उसने
देखा कि वे उसकी बातें केवल विनम्रतावश बिना मन से सुना
करते हैं, तब उसने कहना बन्द् कर दिया | इसके बाद सेराफ़िमा
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