आदर्श नगरी प्रथम भाग | Aadrash Nagari Prathama Bhag

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Aadrash Nagari Prathama Bhag by बेणीप्रसाद - Beniprasad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रथम ए रिच्छेद | ९ है] ^ ५, ५ ~^ ^~ ৮৯৮৮7 ^-^ # ^ ^~ ~~~ ~ সির সি न দে £ কিল সত ছি পি এলি ~ ৩ শি হত অসি ২ ৯৫ পি लाडा के सनन्‍्मुख पञ्च/।ल की महारानी शेलकुसमारो के जाय- दाद के उत्तराधिकारी न होने का प्रमाण उपस्थित किया गया ॥ इस मुक़हमे का पश्ञाब के ज़िला होशियारपर को रानी शेलकुमारों के छोड़े हुये मकानात, ज़मीन, ग्रस, केटी ज्बाहिरात, स्वणेसुद्रा ओर हथियार इत्यादि केमालिकाना हष से सम्बन्ध है | “पञ्ञाब हाइकेट में जो गवाह पेश किये गये और जो प्रमाण संगहीत हुये उन से साबित होता है कि सहाराजा लच्मीशङ्कर कीः विध्वा रानी शैलकुमारी अपने पति की सत्य के बादू उन के जायदाद की एक मात्र अधिकारियणो हुईं, उस के कुछ हो दिन बाद पणिडत शान्तिनाथ नाम के एक काश्यीरी सारस्वत ब्राह्मण से रानी साहिबा का लोहीर আদ समाज के उद्योग বই प॒नत्रिवाह ভুলা ॥ महाराजा लदसीशङर को गरे के राजाओ' के! महर्राज सिताबचन्द्र बहादुर को पररूपराग 5 सपायि थी अत एब रानो शैलकुमारी के उद्योग और नाना प्रदार के उपाय से परिहत जी क्री इस उपाच से लिशूषित हो गये ॥ इस विवाह से रानी शैलकुसारों को एक पत्र हुआ जो जन्‍म से ही पागल था। सन्‌ ९८३९ इस्वो से रानी शैलकुमारी की सत्य हो गे और उसी के दो वर्ष बाद पणिडत शान्तिनाथ भी चल बसे, और उक्त पागल लडका सरपरस्तो के आधोन रक्‍्खा गया तथा टसटो लोग बढ़ी सावचधानो से कुल जायदाद का इन्तिजाम करने लगे । सन्‌ ९८६९ इदेस्वी मे वह पागल लडका भी मर गया इस अतुल सम्पत्ति के किसो वारिस का कुछ पता नहीं है। पञ्ञाब हादेकोट ने इस सारी जायदाद के लींलाम द्वारा बेचने को आज्ञा दो है, इस लिये लोकल गबनमेरट की र




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