पण्डित आशाधर व्यक्तित्व और कर्त्तत्व | Pandit Aashadhar Vyaktitva Aur Katritav

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Pandit Aashadhar Vyaktitva Aur Katritav by नेमचन्द डोणगाँवकर - Nemchand Donganonkar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पं धन्यकुमारजी भोरे , कारंजा , को मैंने इसे समग्र पढ़कर उचित सुधार के साथ सूचित करने की नग्न विनती की और उन्होंने भी दूसरा कार्य छोड़कर इसे प्रमुखता दी तथा पूर्ण किया । उनका भी मैं आभारी हूँ । मुक्तागिरि अधिवेशन में चुने गये नये अध्यक्ष श्री भरतकुमारजी भोरे जब देवलगाँवराजा आये तब दादा ने उनको यह लिखान बताया था। इसे देखकर उसी समय उन्होंने इसे जल्द प्रकाशित करने की भावना व्यक्त की थी । प्रस्तुत ग्रन्थ आपके हाथ मे देने के लिए ओर प्रकाशन मे शीघ्रता लने के लिये जिनका सहयोग प्राप्त हुआ वे हँ हमारे बन्धु श्री घ पद्यकुमार डोणगांवकर देवलगौवराजा निवासी । प्रकाशनार्थं संकलत्र निधी ओर उपलब्ध सामग्री एक বিন के अदर एकत्रित कर सभी को आश्चर्यवकित किया । आपका अपार उत्साह तथा सेवा सदैव तत्पर रहती है । दूरस्थ जयपुर (राज) जाकर वहाँ मुद्रण कराने के हेतु बाहुबली प्रिन्टर्स को इसे दिया और अल्पे समय में सभी काम सुलभ किया । आपका श्रेय उल्लेखनीय है । एतदर्थ शतशः धन्यवाद । वैसा ही इस ग्रन्थ के मुद्रणमेंश्री ध अखिल बंसल महोदय ने जे अल्प समय मे अच्छा छपाई का काम किया है अतः उन्हे हार्दिक धन्यवाद । अनेक महानुभावो ने इस कार्य के लिए प्रेरणा दी तथा मदद भी की है । मैं उन सबके नाम नही ले सकता , किन्तु उन सभी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करता हूँ। संक्षिप्त में इतना कहता हूँ कि यह सामयिक कृति है, सभी के सहकार्य से ही बनी है। न मैं शिक्षक हूँ , न साहित्यिक अतः मुझसे भूल हो सकती है। उससे मुझे अवगत कराने की नप्र विनती है । इसको पढ़ने के पूर्व मेरी सभी से नग्न प्रार्थना है कि , वे इसे तो शांति से पढ़े ही, किन्तु पंडित जी के मूल ग्रंथ भी उपलब्ध कराकर उनको भी पढ़कर अपना भ्रम भिरे । पंडितजी का वचन है कि ~ “काले कोऽपि हित॑ श्रियेत ।” अब आपके हित का काल आवा है ! शुभं भूयात्‌ , भद्रं भूयात्‌ । नेमचंद डोणगांवकर (न्यायतीर्थ) देवबगाँवराजा (शा)




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