ओसवाल [वर्ष ७] [जनवरी १९२५ ] [अंक १] | Oswal [Year ७] [Jan १९२५ ] [No. १]
श्रेणी : पत्रिका / Magazine
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14 MB
कुल पष्ठ :
416
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)- রী १९
पम शस म क ५१.
शपते बेटे को वलि चंढ़ाया उनमें से फठको | झोपको इस अभागिनी
भौ उसकी सहायता देने के लिये आगे | माता पर क्रोध आता होगा। और यह
है बढ़ा | श्रोर तो क्या पर खुद बेटियों | स्वामादिक भी है किस्तु क्या जीमते
की ससुराल वाले जिनके घर मे ऽसने | समय यह विचार किया था समे किं
हजारों का माल भरा था वे मी उसक्ष | बिप मिला हुआ ।' था हीरा ताल तथा
তু में काम न आएं | बेटी वड़ी हो उसकी वहिन के ६ लेदान का कार्रफ
मई थी उसका विधाई करना आवश्यक | आप लड्ट, ज॑मने पले नहां हैं यदि
था। इधर कर्जदार कंजे के लिये पोहा | नहीं होंगे तो फिर न्याय और पयाब'
कर रहे थे। ऑल में शोमाउसटूजों में | कॉईजंस्तु हो नहीं है यो समझना
इसे मागं वती | चपि उसने उस | पक । ऐसे पकी नही नतु हजरत
मागं मे महाप देण लं देखी किन्तु | धर रजड़ रहे हैं और जिसका कारः
इलाज क्याथा। आखिर अपनी वेंटोंकी | तह. हैं फिर भी मोरा समाज न माः.
भ वली चढ़ाया पकं कृद के मटक
क | तमं यद-लइ.ओं क मोहं क्यो न
रनु. अनिवाये' हीगया 1 शोभाचन्जी | ्ोडता । तथा लर् जिभाकर ममनः
में १००००) रुपये में सौदा -टोक-करक | पिम की शचा रखने वातै भ्राज भी
धन्नातातजी कै ऊपट्ःऽस दुम कती [जात शया नहीं देते গা হম ই
জী चढ़ाया। प्रन्नोलालजी का आयुः] वोर मोसस में जाकर मोर करने वाले
पचास वप की थी; यद वात हीराताल | कार्य र कठिन्या उपस्थित करना
को मा श्रच्धी तरह जानती -थी, किस्तु ইলাহী হর समभते ই यहवात बुरी
भथा करे एतान. नरं \ पा तथा (हरम र २ नष्टं सकते शरीर स
उसको विधवा पुत्र. बधू-काउद॒रं पोषण | कट यह नहोंगा तब तक ऐसेही हजायं
के लिए उसेडच.भी भ्यवस्थाकला जरु | ह्य विद
र हशयो को देखकर अन्त
रौशा, शौर एसौलिय उसनेजानवूः ल
आकर | कर्ण को दुखित बनानाही पड़ेगा ।
झपनी प्यारी बेटी को बी चढ़ाया
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