ओसवाल [वर्ष ७] [जनवरी १९२५ ] [अंक १] | Oswal [Year ७] [Jan १९२५ ] [No. १]

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Oswal [Year ७] [Jan १९२५ ] [No. १] by हरस्वरूपजी त्रिवेदी - Harswarup Ji Trivedi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हरस्वरूपजी त्रिवेदी - Harswarup Ji Trivedi

Add Infomation AboutHarswarup Ji Trivedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
- রী १९ पम शस म क ५१. शपते बेटे को वलि चंढ़ाया उनमें से फठको | झोपको इस अभागिनी भौ उसकी सहायता देने के लिये आगे | माता पर क्रोध आता होगा। और यह है बढ़ा | श्रोर तो क्या पर खुद बेटियों | स्वामादिक भी है किस्तु क्या जीमते की ससुराल वाले जिनके घर मे ऽसने | समय यह विचार किया था समे किं हजारों का माल भरा था वे मी उसक्ष | बिप मिला हुआ ।' था हीरा ताल तथा তু में काम न आएं | बेटी वड़ी हो उसकी वहिन के ६ लेदान का कार्रफ मई थी उसका विधाई करना आवश्यक | आप लड्ट, ज॑मने पले नहां हैं यदि था। इधर कर्जदार कंजे के लिये पोहा | नहीं होंगे तो फिर न्याय और पयाब' कर रहे थे। ऑल में शोमाउसटूजों में | कॉईजंस्तु हो नहीं है यो समझना इसे मागं वती | चपि उसने उस | पक । ऐसे पकी नही नतु हजरत मागं मे महाप देण लं देखी किन्तु | धर रजड़ रहे हैं और जिसका कारः इलाज क्याथा। आखिर अपनी वेंटोंकी | तह. हैं फिर भी मोरा समाज न माः. भ वली चढ़ाया पकं कृद के मटक क | तमं यद-लइ.ओं क मोहं क्यो न रनु. अनिवाये' हीगया 1 शोभाचन्जी | ्ोडता । तथा लर्‌ जिभाकर ममनः में १००००) रुपये में सौदा -टोक-करक | पिम की शचा रखने वातै भ्राज भी धन्नातातजी कै ऊपट्ःऽस दुम कती [जात शया नहीं देते গা হম ই জী चढ़ाया। प्रन्नोलालजी का आयुः] वोर मोसस में जाकर मोर करने वाले पचास वप की थी; यद वात हीराताल | कार्य र कठिन्या उपस्थित करना को मा श्रच्धी तरह जानती -थी, किस्तु ইলাহী হর समभते ই यहवात बुरी भथा करे एतान. नरं \ पा तथा (हरम र २ नष्टं सकते शरीर स उसको विधवा पुत्र. बधू-काउद॒रं पोषण | कट यह नहोंगा तब तक ऐसेही हजायं के लिए उसेडच.भी भ्यवस्थाकला जरु | ह्य विद र हशयो को देखकर अन्त रौशा, शौर एसौलिय उसनेजानवूः ल आकर | कर्ण को दुखित बनानाही पड़ेगा । झपनी प्यारी बेटी को बी चढ़ाया




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now