नेमि-पुराण | Nemi-Puran

Nemi-Puran by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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देवों द्वारा नेसिनिनका जन्म-महोत्सव ! । करती है। ब्रह्मचर्यत्रतके प्रभावले होनेवाली भगवानझी शाक्ति, त्रिकालमें उत्पन्न देवोंकी शाक्तेसे अनन्तानन्त गुणी थी। भगवानके मुख-कमरमें विराजी हुई सरखती जीवोके किए प्रिय, हितकारी और बहुत थोड़ेमें समझानेवाली, थी । इत्यादि शुणरूप रत्नोंके भगवान्‌ जन्महीसे खान थे। उन इच्द्रादि पूज्य नेमिनिनके सोभाग्य-सम्पदाका वर्णण गणपर देव भी नहीं कर सकते तव ओर कौन उसका वर्णन कर सकता है। आकाश जैसे बिलरत द्वारा और समुद्र जैसे चुर्छु द्वारा नहीं पापा जा सकता उसो तरह प्रमानन्द देनेवाले और चन्र भाकी कान्तिसे भी कहीं अधिक निमेर नेम्रिमिनके भ्रेष् गुणोंकी किसी तरह गणना नहीं की जा सकती | इस प्रकार दाता, दयानिधि, अत्यन्त निस्पृह, ज्ञानी, सबको प्यारे, पीर; मोक्ष जिससे बहुत ही निकट है और इन्द्रादि देवतागण बढ़े प्रसन्न शे-होकर मिनकी सेवा करते हैं ऐसे नेमिमिन- मार लोगोंके मनको खुश करते हुए अपने सम्पदासे भरे-पुरे राजमहलमें सुखके साथ समय विताने लगे। जन्मपहोत्सवक्े समय इन्द्रने जिन्हें रनात कराया, सुमेरु- पर जिनका स्नान हुआ, जिनके रनानके लिए समुद्रका जल लाया गया, देवता-गणने जिनकी वढ़े आदरके साथ सेवा की, जिनके उत्सवं अप्सराये माची, ओर गन्धम देवोंने जिनकी कीर्ति गाई मे नेमिजिन सवको सुख दे ] दात सप्तमः समः) १३९




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