1962 के अपराधी कौन | १९६२ Ke Apradhi Kon
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
185
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)अश्नम्भववादी सैनिक हेडक्वार्टर १४६
तिहाई हिस्से का हो जून में अ्वपातत कर पायेगी श्रौर इसलिए हमें वक्ती
तौर पर चार चौकियों को छोड़ देना पदेगा ।
इस पूरे दौरान भे इच वात का वहत कम अमाय मिलता है किं भारतीय
सेना ने चीमियों को रण झैली के श्रादी वनने या केंचे, दुर्गम स्थानों पर युद्ध
करने के निए श्रादरयक प्रशिक्षण प्राप्त करते की दिशा में कोई विशेष प्रयत्न
किये हों । न इस बात का प्रमाण मिलता है कि सेता ने गम्भीरताएूबेक
चोनियों की सामरिक नीति समझने शौर उसके लिए जवावी श्वामरिक नोति
बनाने को कोर ख़ास कोशिश की हो । हमारी सेना की युद्ध नीतिक विधार-
धारा और सामरिक प्रशिक्षण बराबर ही पाक-अभिस्यापित ही रही |
यवि लोकतस्त्र में वाद-विवाद से संरंकार चलायी जाती है सो उत्तरी
सीमान्त पर चीन से सम्भावित तरे के विषय पर हमीर रक्षो तयो विदेश
मंत्रालयों में खूब वहसे हुई! श्रौर उसकी तुलना मे काम बहुत कम हुआ ।
सीधा, स्पप्ट तथ्य यह है कि सैनिक हेडक्ष्वार्दर ते इस सत्य के प्रति आँखें
गूद ली थी कि यदि हमारी सेना उत्तरी सीमान्त की रक्षा सम्बन्धी भरोवद्यक-
तीझों को पूरा करने में अ्रेसमरर्थ है तो न केवल उस पर यह शारोप॑ लगतीों है
'कि उसने भंपना कर्तव्य पूरी नेहीं किया বি ইত उस सीमास्त परे दावा
करने का प्रघिकार खो देंता हे ।
देश की सरहद की सुरक्षा के विषय में यह नहीं कहा हा जा सकती कि :
“ऐसा करना असम्भव है ।” ` ओ असम्सव है उसे भी करना पड़ता है क्षत्यया
जैन को छूट होती है कि লিনা खटके अाक्रमण करे भौर हमारी भूंमि परे
मंनधाही सीमा तक प्रतिक्षमण केरे 1
उस समये राजघानी में यह व्यापक ईस्थिंति थी वि जवेकि तुरन्त 'तेथा
महत्वपूर्ण समस्याओं पर रक्षा मेंत्री तथा प्रधानं सेनापति के
षार वह होती थीं तो सम्बन्धित संमंस्थाएँ फ़ाइंलों' में दव कर कहीं जो जाती
थीं और संयोग से निकला हुई कोई सामुली-सा भसला महत्त्वपूर्ण रूप ले लेता
था। उच्चतम स्तर पर लिए शयेः निंश्चयों को कार्योन्वितें करते में अक्सर
'महीनों ही क्या कई वर्ष तक लंग जाते ये ।
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