श्री आत्मानंद जैन शिक्षावली भाग - 1 | Shri Atmanand Jain Shokshavli Bhag - 1

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Shri Atmanand Jain Shokshavli Bhag - 1  by भागमल शर्मा - Bhagmal Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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# थी चीतरायाय नम ও श्री आत्मानन्दर जन शिक्षावली पहिला भाग = नीति बोध विभाग नाट्य {१1 ह देव दर्शन । मन्दिर, दरोन । ग्रालर--पिता जी | झाप फटा जा रद्द हैं प्रिवा--मैं मन्दिर সী में जा रहा हू । श०--आप वद्दा किस लिये आा रहे है ? पि०--म यह रशीय फरने के लिये जा रहा हू । भा०--आप फिसक दर्शन करन के लिये जा रद्द दे ? मि०--पद में तुझे वद्दा यनाऊुगा | गा०--सों पिता ज्ञी क्‍या आप मुझे यद्दा ले भाओोगे ? पि००-दवा | ज्यों नही | यति तू आव तो तुझे रोज़ ऐे जाया परुगा।




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