वीर विनोद | Veer Vinod
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
30.25 MB
कुल पष्ठ :
687
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about महाराणा रत्नसिंह - Maharana Ratan Singh
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)धन ई- बोर विनोद. --- २ 0 १2२ थ2 0 काएा महाराणा रल़सिंह लि महाराएता सांगा संग्रामसिंह के सात पुत्र हुए- 9 २ भोजराज ३ पवतसिंह ? रत्रसिंह ५ विक्रमादित्य ६ रृप्णसिंह च्यौर ७ उदयसिंह. 9 पूर्णमछ २ भोजराज ३ पर्वतसिंह और ६ कप्णसिंह-चार तो महाराणा सांगाके सामने हो परठोक सिधारे. इनमेंसे २ भोजराज जो सोठंखी रायमछकी वेटीके गर्भसे जन्मेथे उसका विवाह मेड़तेके १ रावटूदा जोधावतके पांचरेविटे रलसिंहकी बेटी मीरांवाइके २ साथ हुआयथा. मीरांवाई बड़ी धार्मिक ओर साधुरसंतोंका सन्मान करनेवाली थी. यह विरागके गीत बनाती और गाती इससे उसका नाम अवतक वहुत प्रसिद्ध है. १ मेड्ता- जोधपुरके राज्यमें एक कुतवा हे जिसके नामसे एक परगना मेड़ताकी पट्टी न २३ कर्नेंल टौड़ साहब मिरावाईको महाराणा कुंभाकी राणी लिखतेहैं परंतु यह धात ठीक नहींहि क्योंकि रावजोधाने विक्रमी १५१७ लहि० ८६२ नई १४५८ में जोधपुर वसाया विक्रमी १५२५ हि ८७२ न देन १४६८ में महाराणा कुंभाका देहांत हुआ विक्रसी १५४२ हिजरी ८९० ईं० १४८५ में रावदूदा जोधावत को मेड़ता झामा देवके वरदानसे मिला विकी १५८४ नहि० ९३३ न इ० 9५२७ में महाराणा सांगा और चावर चादशाहकफी उड़ाई में दृदाके दो बेटे वीरमदेव और रल्नसिंह मीरांवाईका पिता मारेगये और पोरमदेवका बेटा जयमल्ल विक्रमी 3६२४ न हि० ९७५ 2 ई० १५६८ में चित्तौडुपर अकबारकी लड़ाईमें सारागया 3--सोचना चाहियेकि महाराणा कुंभाके वक्त दूदाको मेड़ता हो नहीं मिला था फिर दूदाका पोती मीरांवाई भेड़तणी कुम्भाकी राणी किस तरह होसकी है? -- सोरबाई १-महाराणा कुंभराके देहातते ५९ वर्ष पीछे बावर और महाराणा सांगा की लड्ाईमें की बाप रत्र्तिह मारागया तो महाराणा कुंभाके वक्तमें टॉड साहबका लिखना के समझा जाय तो रल्नतिंह की अवस्था चाठीस वर्पसे कम नहोगी इस हिसावसे मारे जानिके वक्त सैवरपके आरुरे होनी चाहिये और इतनी उमरके आदमीका बहादुरिके साथ लड़ाइमें माराजाना असंभव है-- दे
User Reviews
No Reviews | Add Yours...