छान्दोग्योपनिषद रहस्य | Chhandogyopanishad Rahasya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
226
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)६ छान्दोग्यो पनिपद् रदस्य ।
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४ मन्न ।
तेनेयं . तरयी विद्या वर्त . ओमित्याश्रावयत्योपिति
शंस त्योमित्युद॒गायत्येत्स्ये बात्तरस्यापचित्ये महिम्ना रसेन ।
(८१1 १। 5 )।
खान्वय अर्थ । दि
तेन ( उस भ्रणत्रसे ) इ यन् ( यद् ) चयो ( वेद्रयो ) विया
( ्रथज्ञानसाध्य अनुष्ठान ) चेते ८ चलता है ) ओमिति ( ओंका-
रको उच्चारण कर ) आश्रावयति ( प्रैप देते हैं) ओमिति ( ओम
इसी शब्दसे ) शंसति (शात्त्र पढ़ते हें) ओमिति ( ओंस इस
शब्दसे ही ) उद्गायति (साम पढ़ते हैं) एतत्य (इस ) एच
( निश्वय ) अक्षरस्य ( अक्षरके ) अपचित्ये ( पूजा करनेंके लिए
महिन्ना ( महत्वसे ) रसेंन ( रससे )। ,
सरलार्थ । वि
इसी भ्रणवसे वेदोक्त यन्न यागादि चलते हें। यज्ञम
भप; शस्व, स्तोत्र इसीसे चलते है किंवहुनां सत्र व्यवहार
इसीके पूजनार्थ इसीके महत्वंसे ओर इसीके रससे होते हैं।
भावार्थ |
सच यज्ञ यागादि ओंकार दोसे किये जाते हैं। क्योंकि जितने `
सनन््त्र और अन्यवाणी हैं सच ओंकारका स्वरूप हैं । और सबच-
यज्ञादि ऑकार द्वी के पूजनके .लिये दै क्योकि परमातमा और:
ओकारका अभेद है! .तथा यज्ञ करके आदित्य छारा बृष्टि द्वोकर '
मशः ऋत्विक् आदिके आण बनते हैं, उससे मन्त्र कहना और
क्रिया अज्लुछानका- सामथ्य, वनता है तथा अन्न बननेसे पुरोडाश-
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