कोन्स्तान्तिन फोदेन आग्नेय वर्ष | Konstantin Foden Agney Varsh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
390
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हुए पैरो को लांघता हुआ दीबिच जलपानगृह के पास पहुंचकर बेंच के
एक सिरे के सहारे उकड़ बैठ गया।
अपने ठीक सामने एक खिड़की के पास उसे एक परिवार दिखायी
दिया, जिसके सदस्य आसपास के दूसरे लोगों से इतने भिन्न थे किं
वह् उनसे निगाहें न हटा सका।
परिवार मे पति-पत्नी, सात-एक साल का एक बच्चा, जो अपनी
मां की तरह ही बेहद खूबसूरत था, और सफ़ेद बालों , कनपटियों पर
करीने से सजी छोटी-छोटी लटोंवाली और हास्यजनक , पुराने ठंग के,
मगर रौब सा गांठनेवाले कपड़े पहने एक बुढ़िया थी। वह देखने में
रूसी नहीं लगती थी और शायद बच्चे की गवर्नेस थी। वह पूरी तरह
से बच्चे की देखभाल में जुटी हुई थी , यानी यह कि वह नीले , तामचीनी
के प्याले से ठीक से पिये और रोटी, जिसपर कुछ लगाया हुआ था,
ठीक से खाये। बच्चा एक टुकड़ा निगलता कि वह उसे दूसरा टुकड़ा
थमा देती और आग्रह करती कि वह खाने के साथ-साथ पीता भी
जाये। फिर वह बच्चे के घुटनों पर पड़े चूरे को भाड़ देती और हाथों
में प्याला ठीक से पकड़ा देती।
पति-पत्नी का अच्छा जोड़ा था। पति अभी चालीस तक नहीं
पहुंच पाया था और पत्नी तो बिल्कुल जवान , अपने पूरे उभार पर
थी। कहना मुश्किल था कि उसकी नाजुक अदाएं कितनी जन्मजात
और कितनी सीखी हुई थीं। कुछ भी हो, इन अदाओं ने ही सबसे
पहले दीबिच का ध्यान आक्रृष्ट किया। अपनी पृष्ठभूमि से बिल्कुल
ओर स्पष्टतः भिन्न परिस्थितियों मे भी उस नारी में एक अद्भुत,
लुभावनी सादगी बनी हुई थी। दूसरी ओर , उसके चाल-ढाल में थोड़ी
सी क्ृत्रिमता भी थी, जैसे टीन का फूहड़ सा प्याला पकड़ते हुए वह
अपनी कनिष्ठा को ऊपर उठा लेती, हालांकि वैसे भी अपने मुलायम,
गुदाज हाथों का थोडा सा प्रदर्शन करने से बाज नहीं आती थी। शायद
वह यह दिखाने के लिए जानवूककर अपनी हरकतों को और नाजुक
वना रही थी कि उसे चाहे कैसे भी दुर्दिन क्यों न देखने पड़ रहे हों,
वह अपनी कुलीन आदतें कभी नहीं छोड़ेगी, या यह कि वह ऐसे
वातावरण में अपनी इन अदाओं के वेतुकेपन से अपना ओर अपने पति
का मनोरंजन करना चाहती है ।
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