सटीक रामचंद्रिका | Satika Ramchandirika

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Satika Ramchandirika by महाकवि केशवदास -Mahakavi Keshavdas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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रामचश्दिका स९। आम लोभ मोहमदकामवशभये न केश्वदास भणि । सोह पखह्य | ओऔरामह अव्तारी अवतार मणि ॥ ३७.॥ ` दोहा ॥ सुनिपतिं यहउपदेशदे, जबहीं भ्यों अह्न ॥ केशवदास तहीं कलयो; गमचन्द्रज ३ ॥ १८ ॥ टो०-तू जनेक कथा हथा क्यों सुनो करत है जांपनो भलो बुरों नहीं. गुनतो विचारतो नब जैसो पूर्व कहि जाये ऐसे शमदेव की न गाहः है .. तबलों जनेक कथन सो देवछोकनपेहे इहाँ' देवडोक वैकुंठ जानो 'बैकुंठ देवे की शक्ति रामचन्द्रही में है जोर देव नहीं देसकेत कहूँ न रामंछोक पाई हे पाठ हेते रमर बेकुंठ ॥१६॥ प्रथम इशल वर्णन क्यों अब यामें - समचंद्र को स्वभाव गुण बरण्यो है रामचन्द्र नो बोरे सो फेरि नहीं बो- ठे जर्थ जो एकबात कलयो सोई करयो है फेरि बदलि के जौर बातं॑नहीं क हो बन गमनादि वचन ते जानो भौ लाको दान दियो ताको फेरि वही दी- न्‍हों अर्थ एकही बार ऐसी दियो जामे वाके फेरि मॉगिवेकी इच्छा नहीं . रही विभीषणादि की लंकदानादि ते जानो जो शहुकी एकही बार ऐसा. मारिक नाश कियोी जामें फेरि नहीं मार पच्यो' खरदृष॒ण रावणादि वधते जानो ओं संग्राम में जरि नदीं मुरे खरदृषण रावणादि के ভুত আলী . जी छोक की लीक मर्यादा को छोप नहीं कियो रावण के वधसों बह्मदी- षृ मानि अश्वमेधं करणादि सों जानो जो दान बोः सय ओं सन्मान के पुय कि दिज्चा जौ विदिशा गोपी हं अर्थं जिनको सपश दिक्च विदि- झन में छाइ रहो है जो जिनको मन छोभ जो मोह जो मद जो कांम के - वृश्च नहीं भयो राज्य स्यागादि सौ खभ विवेशजानी माता पिताकी दुःखि- - तदे देखि बन गमन करनादि सों मोह विवश जानो जो जगरत्यादि ऋषिन- फ यथोचित सकारं सों मद्‌ विवश्च जानी एक पत्नी ब्रतसों- काम विवश . जानो जाके ऐसे खभाव गुणहें सोई श्रीराम वाराहादि अवतारन में सुनि- ` '.. श्रेष्ठ जवतारी कहे अवतार को घरे साक्षात्खह्य है भथवां श्रीराम অন্ন ; ३ ডিস, , ॥ ८ 9 रे ४ “च ४ , री कहे जनकं अवतारन को धरत र जौ प्य द ॥ १७॥ अ जंतंदान ` 7 इृष्टप्त्य देवता ॥ १८॥ के রী উনি জন 3




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