सूरत निरत | Surat Nirat
श्रेणी : काव्य / Poetry
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महालत*
भरपेट खाए हुए की पीड़ा
दूर करने निकली हूं
देश-देशान्तर मे कराहते गुरति
भोजन और चर्वन से आए की
व्याकुलता दुर करने निकली हुं
उसके जबड़े हैं मजबूत
दाढ़ें कटकटाती हैं.
मानो सूरज को भी चबा डालेंगी
वह बना चुका है सुरंगें अपनी गुफा में
घसीद चुका है पंजर अफ्रीका के
छिपा चुका ह मध्यपूर्व एशिया की मज्जाए
खा चुका है लातिन अमरीका की पेशियां
फाड़ चुका है निकारागुआ और नामीबिया को
कितने ही हिरत सांभर नीलयाय और अरना भैसे
सुताते है कथा उसके बहुत बड़े पेट की
मुझे इससे क्या मतलब !!
मेरा काम है उसे खूश रखना
और अपना पेट भरना
* यानी इडियन ट्री पाई। यह चिड़िया शेर की दाढ़ों में फंसे मांस के
टुकड़े निकाली है 1 इस तरह शेर को सुकून और उसे भी भोजन मिलता
है।
सुरत निरत / 17 ` .
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