आनन्दघन चौबीसी | Aanadhgan Chobishi

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Book Image : आनन्दघन चौबीसी  - Aanadhgan Chobishi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लिखकर दिये कागज के यंत्र को धारण करने पर वह प्रीति पात्र हो गई। इसी प्रकार की कथा श्रीमद्‌ ज्ञानसारजी को उदयपुर महाराजा द्वारा दुह्गिन द्वारा दुहागिन रानी का यंत्र खोलकर देखने पर राजा राणी सु राजी हुवै तो नाराणे ने काडं राजा राणी सुं रूस तो नाराणे ने काइ ? लिखा मिला। लोककथा का हार्द एक है ओर नायक भिन्न। (देखिये हमारी-ज्ञानसार ्रन्थावली) 4 जोधपुर नरेश के पधारने पर ज्वरग्रस्त आनंदघनजी ने वार्ता-उपदेशहेतु अपना ज्वर कपडे मे उतार रखा। थर-थर धूजोते कपडे का रहस्य राजा ने ज्ञात किया। यही बात महाराजा सूरतसिह ओर ज्ञानसारजी के लिए प्रसिद्ध है। (ज्ञानसार ग्रन्थावली पु 39) इसी से मिलती जुलती बात सुलतान महमद के जाने पर ज्वरग्रस्त श्री जिनप्रभसूरिजी द्वारा ज्वर को पानी मे उतारने ओर उबलने लगने की उपलब्ध है (देखिए-शासन प्रभावक जिनप्रभसूरि ओर उनका साहित्य पू 70) 5 मेडता मे श्रेष्ठि पुत्री को मृत पति के साथ चित्ता प्रवेश करते रोकने के लिए उपदेश मे ऋषभ जिने प्रीतम माहरो रे स्तवन निर्मित होना। चौबीसी के 22 स्तवन निर्माण को यशोविजयजी ओर ज्ञानविमलसूरि द्वारा छिपकर सुनना ओर 2 स्तवन न बन सकना तथा चित्र निर्माणकर गुफा मे उपाध्यायश्री ्रारा ज्ञानविमलसूरिजी के टव्वे के ऊपर लिखी ज्ञानसारजी की समीक्षा ही অনি ই। | 6 जोधपुर महाराजा के धन की आवश्यकता पडने पर मेडता की कोट्याधिपति सेठानी के यहाँ सिपाहियो द्वारा घेर डालने और आनंदघनजी को प्रार्थना करने पर उन्होने अक्षय लब्धि से एक-एक तरह का सिक्का रखवाया ओर उसमे से अखूट धन से कितने ही घडे भर दिये! इन सब दन्तकथाओ का विस्तृत लेखन हुआ है। महाजन वंश मुक्तावली पृ 28 में बॉठियो के इतिहास मे एरखचद की सतान हरखावत कहलाए। मेडता नगर में बादशाह खाजे की दरगाह जाने आया। द्रव्य की आवश्यकता होने से हरखावत को बुलाकर 52 सिवके के 6 लाख रूपये मागे। चिन्ता्रस्त सेठ आनदघनजी मुनि पास गया। मुनि ने योगसिद्धि से 52 सिक्के पूर्ण करे। बादशाह ने हरखावत को शाहपद दिया। मुनि दर्शनविजय त्रिपुटी महाराज ने जैन परम्परानी इतिहास में इस दात 47




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